
जीत तालिबान की हुयी है, मंशा पाकिस्तान की कामयाब हुयी है, चीन और रूस को फायदे की उम्मीद जगी है, लेकिन ये मुनव्वर राणा न जाने क्यों तालिबान की जीत पर ऐसे बयान दे रहे हैं, जैसे ये भारत में नहीं बल्कि तालिबान में रह रहे हैं.
जाने-माने शायर मुनव्वर राना के दिल में ‘तालिबान’ के लिए गजब की ‘मोहब्बत’ जाग गई है. वह तालिबान के पक्ष में बार-बार विवादित बयान दे रहे हैं. इससे देश में उनके लाखों प्रशंसक भी भड़क गए हैं. लोगों का आक्रोश तो पहले से परवान चढ़ा हुआ था ही, आज जो इन्होने एक टीवी चैनल पर एंकर को कहा, उसे सुनकर तो किसी भी हिन्दू की भृकुटी तन जाएगी.
आज गुरुवार को मुनव्वर ने तमाम हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया. उन्होंने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से कर डाली. यही नहीं, एक टीवी चैनल में बातचीत के दौरान वह हिंदू धर्म पर सवाल खड़े करते दिखे.
उनसे पूछा गया था कि तालिबानी आतंकी हैं या नहीं ? ….. तालिबान पर चर्चा के दौरान मुनव्वर राना ने कहा-“तालिबान आतंकी हैं पर उतने ही आतंकी हैं जितने रामायण लिखने वाले वाल्मीकी” ….. महर्षि वाल्मीकि के लिए बेहद ही ‘सड़कछाप’ भाषा का इस्तेमाल करते हुए मुनव्वर राना ने कहा-“अगर वाल्मीकी रामायण लिख देता है’ तो वह देवता हो जाता है, उससे पहले वह डाकू होता है. इसको क्या कहियेगा ? आदमी का किरदार, उसका कैरेक्टर बदलता रहता है.”
जब टीवी चैनल के एंकर ने इस पर आपत्ति जताई कि कम से कम भगवान वाल्मीकि के साथ वह तालिबान की तुलना न करें तो मुनव्वर राना ने कहा-“आपके हिंदू धर्म में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है. लेकिन, वो एक लेखक थे. ये ठीक है कि उन्होंने एक बड़ा काम किया. उन्होंने रामायण लिखी.”
कल बुधवार को एक मिडिया से साथ खास बातचीत में मुनव्वर राना ने कहा था कि तालिबान को आतंकवादी या आतंकी नहीं कह सकते, उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है. तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है ? अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है ?
बंदूक के जोर पर सत्ता में आने से जुड़े सवाल पर मुनव्वर ने कहा था कि इसको उस हिंदुस्तान की तरह सोचा जाए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने उसे आजाद कराया था. उन्होंने भी अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है ? इसके बारे में हिंदुस्तानी होकर नहीं सोच सकते हैं ?