
भले ही तालिबान या तालिबान के समर्थक ये कहें कि इस बार का तालिबान 2001 वाला तालिबान नहीं बल्कि 2021 वाला तालिबान है. इसके मिजाज और विचार में काफी बदलाव दिखेगा. लेकिन अफगानिस्तान की जनता भी इस बार 2001 की जनता नहीं दिख रही बल्कि 2021 की जनता दिख रही है.
आज अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कई जगहों पर अफगानिस्तान के झंडे फहराए जाने पर तालिबानियों का गुस्सा भड़का और उन्होंने कई जगाओं पर गोलियां बरसा दीं. बस क्या था, तालिबानियों ने जब अपना 2001 वाला रूप दिखाया तो अफगानियों ने भी अपना 2021 वाला चेहरा दिखाना शुरू कर दिया. तालिबानी गोलियों से बेपरवाह होकर लोग प्रदर्शन करते रहे और सबसे बड़ी बात ये रही की इस तरह के प्रदर्शनों में महिलायें भी अपने हाथों में हथीयार लेकर आगे दिखीं.
प्रदर्शन का दौर आज काफी जोर-शोर से दिखा. लेकिन सवाल ये है की क्या ये प्रदर्शन केवल स्वतंत्रता दिवस के उत्साह के कारण थे या ये तालिबान के खिलाफत का प्रदर्शन आगे भी इसी जोश से जारी रहेगा ?
दरअसल, तालिबान के खिलाफत में खड़े होने का दमखम जो अफगानियों के अन्दर जागा है, वो नए अफगानिस्तान का चेहरा है और यह चेहरा अगर आगे भी तालिबान के विरोध में आगे आता हुआ दिखा संभव है की तालिबान के लिए मुश्किलें बढ़ जाएँ. ऐसे प्रदर्शनों को रोकने के लिए अगर तालिबान ने लोगों को मारना शुरू कर दिया तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वो जो अपना 2021 का चेहरा दिखाकर भ्रम पैदा करना चाहता है, वो भ्रम तो जरुर टूटेगा.