
कोरोना वैक्सिन के मामले में भारत ने कई रिकॉर्ड हासिल किये हैं. भारत के नाम एक और रिकॉर्ड शामिल हो गया है. अब भारत दुनिया में पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने DNA आधारित कोरोना वैक्सीन को तैयार कर लिया है. दुनिया की पहली और भारत में बनी डीएनए बेस्ड कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने जायडस कैडिला की इस वैक्सीन को इमर्जेंसी यूज की इजाजत दे दी है.
सबसे बड़ी बात यह है कि यह वैक्सीन 12 साल और उससे ऊपर के बच्चों को भी लगाई जाएगी. इस तरह देश में जल्द ही 12 साल से ऊपर के बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो जाएगा. फिलहाल देश में 18 साल या उससे ऊपर के लोगों को ही वैक्सीन दी जा रही है.
3 डोज वाली है जायडस कैडिला की यह कोरोना वैक्सीन
जायडस कैडिला की यह कोरोना वैक्सीन 3 डोज वाली है. इसका भारत में अबतक 50 से अधिक केंद्रों पर सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल किया गया है. अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी ने 1 जुलाई को वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने के लिए DCGI के पास आवेदन भेजा था.
भारत में अब उपलब्ध हैं 6 तरह के कोरोना वैक्सीन
जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिलने के साथ ही अब देश में कोविड की कुल 6 कोविड वैक्सीन हो गई हैं, जिनका इस्तेमाल हो सकेगा. इससे पहले सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, रूस की स्पूतनिक-वी एवं अमेरिका की मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन की वैक्सीन इस्तेमाल हो रहा है.
कैसे काम करती है यह DNA आधारित कोरोना वैक्सीन ?
जायडस कैडिला की यह कोरोना वैक्सीन दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है. इसके जरिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. इससे शरीर में कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होते हैं. ज्यादातर कोरोना वैक्सीन के 2 डोज लगते हैं लेकिन कैडिला की इस वैक्सीन के 3 डोज लगेंगे.
नहीं होगा दर्द, सूई से नहीं बल्कि खास डिवाइस से लगेगी
जायडस कैडिला के इस वैक्सीन के बारे में एक और खास बात यह है कि यह सूई से नहीं लगाई जाएगी बल्कि इसे एक खास डिवाइस के जरिए लगाया जाएगा. जायडस कैडिला का दावा है कि इस मेथड से वैक्सीन लगने की वजह से दर्द नहीं होगा. कंपनी का कहना है कि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी कम हैं.