
उत्तराखंड में कांग्रेस एवं भाजपाई खेमे में लगातार बढ़ रहे आपसी खिंच-तान का फायदा उठाने के लिए AAP ने उत्तराखंड में अपनी सक्रियता को बढ़ा दिया है. उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा के खेमे में नेताओं का आपसी द्वन्द ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. ऐसी स्थिति में AAP ने अपनी सक्रियता को बढ़ाकर, लोगों के बिच अपनी मूवमेंट को तेज कर दिया है, प्रचार और प्रसार भी पुरे चरम पर है. यहाँ तक की AAP ने उत्तराखंड के निवासी कर्नल अजय कोठियाल को अपना CM उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है. कोठियाल ने भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देना भी शुरू कर दिया है.
वहीँ अगर दूसरी तरफ देखें तो कांग्रेस और भाजपा, ये दोनों राष्ट्रिय स्तर के राजनैतिक दल, उत्तराखंड में सक्रियता और प्रचार-प्रसार के मामले में पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं.
उत्तराखंड में भाजपा को सक्रीय करने के लिए और भाजपाई कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, आज शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुँच चुके हैं. यहां के जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद नड्डा का उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने स्वागत किया.
जीपी नड्डा के आते ही उत्तराखंड में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के बिच जोश उमड़ता हुआ दिखा. आलम यह रहा कि लगातार हो रही बारिश के बावजूद हवाई अड्डे से हरिद्वार के एक होटल तक जाने के रास्ते में भानियावाला, छिददरवाला, नेपाली फार्म और रायवाला आदि जगहों में, सड़क के दोनों तरफ पार्टी कार्यकर्ता, नड्डा के स्वागत के लिए खड़े थे. जानकारी मिली है कि हरिद्वार में नड्डा पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कई बैठकें करेंगे।
इसके अलावा, अपने दो दिवसीय दौरे में नड्डा की पार्टी विधायकों, CM धामी मंत्रिमंडल के सदस्यों, प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों तथा विभिन्न मोर्चों के प्रमुखों के साथ भी करीब आधा दर्जन बैठकें प्रस्तावित हैं. नड्डा सैनिकों के साथ भी बातचीत करेंगे और साधु—संतों से भी मुलाकात करेंगे.
विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि अपने इस दो दिवसीय दौरे में, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगे तथा पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे. इस बार भाजपा के सामने मुख्य चुनौती 2017 में अपने जबरदस्त प्रदर्शन को दोहराने की होगी, जब उसे 70 में से 57 सीटों पर विजय हासिल हुई थी.
सवाल ये है कि उत्तराखंड में कांग्रेस अब तीसरी पार्टी के रूप में ही दिख रही है. प्रदेश में कांग्रेस की लहर कहीं दिख भी नहीं रही और न ही पार्टी कार्यकर्ताओं के बिच कोई जोश दिख रहा है. ऐसे में उम्मीद है की आगामी चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और AAP के बिच ही होता हुआ दिख रहा है. हाँ ये बात और है की अगर बहुमत त्रिशंकु हुआ तो AAP अपने पुराने तर्ज पर, कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना सकती है. इसलिए भी भाजपा के लिए उत्तराखंड एक बड़ी चुनौती के रूप में दिख रहा है क्योंकि भाजपा की किसी भी स्थिति में खुद को बहुमत में लाना होगा ताकि AAP और कांग्रेस को मिलकर सरकार बनाने का मौका न मिल सके.