
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जेदारी में, पाकिस्तान की साजिश और कोशिश, दोनों कामयाब हुए. लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान को मिली सफलता का जश्न अब पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के द्वारा खुलेआम मनाया जाने लगा है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद सहित कई शहरों में कट्टरपंथियों की भीड़ तालिबान के झंडे लहरा रही है. पाकिस्तान के कई मौलाना तो खुले मंच से तालिबान को जीत की बधाई दे रहे हैं. इस्लामाबाद के जामिया हफ्सा मदरसे पर तालिबान का झंडा फहराता दिखा है.
जामिया हफ्सा पहले महिलाओं का एक मदरसा हुआ करता था. बाद में कट्टरपंथियों ने इसे बंद कर दिया क्योंकि महिलाओं का पढना-लिखना इन्हें बर्दाश्त नहीं था. यह मदरसा इस्लामाबाद की विवादित लाल मस्जिद के पास स्थित है. लाल मस्जिद का मौलाना अब्दुल अजीज कई बार पाकिस्तानी सरकार को खुली चुनौती दे चुका है. इसी मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई करने के आरोप में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को गिरफ्तार भी किया जा चुका था.
पहले कहा जाता था कि पाकिस्तान का प्रभाव तालिबान पर है. लेकिन अब तालिबान का प्रभाव पाकिस्तान पर ज्यादा दिखाई दे रहा है. आतंकियों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी सरकार अनजाने मे अपने ही देश में कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रही है. जबकि सच ये है कि यही कट्टरपंथी पाकिस्तान में तबाही भी मचा रहे हैं. इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार की आंख नहीं खुल रही. कुछ महीने पहले ही तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों ने पूरे देश में जमकर बवाल काटा था.
अगर देखा जाए तो तालिबानी राज का असर यह होगा कि आने वाले बरसों में पाकिस्तान में सुन्नी और वहाबी चरमपंथ में इजाफा होगा. लोग धार्मिक नेताओं के हाथ की कठपुतली बन जाएंगे. इतना ही नहीं, इससे पूरे पाकिस्तान पर नकारात्मक असर पड़ेगा. पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान गृहयुद्ध की आग में जलता हुआ दिख सकता है.