
भले ही तालिबान समर्थक देश और नेता, यह दावा करें कि इस बार का तालिबान 2001 वाला तालिबान नहीं है, ये 2021 का वो तालिबान है जो सरकार के रूप में अच्छी छवि के साथ काम करना चाहता है. हालांकि हाल ही में तालिबान के द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद प्रेस-कांफ्रेंस में भी यह बताया था कि इस बार हमलोग अफगानिस्तान के तरक्की के लिए काम करेंगे. किसी को भी हमसे डरने की जरुरत नहीं है. लेकिन जिस तरह की घटनाएं लगातार सामने आती हुयी दिख रही हैं, उसको देखते हुए साफतौर पर कहा जा सकता है कि तालिबान के सोच और विचार में आज भी कट्टरता और हिंसा सवार है.
अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद तालिबान, मीडियाकर्मियों और पत्रकारों को निशान बना रहा है. खबर ये है कि तालिबान के लड़ाकों ने काबुल में काम कर रहे जर्मन न्यूज चैनल डॉयचे वेले (Deutsche Welle) के एक जर्नलिस्ट के रिश्तेदार की हत्या कर दी है. तालिबान के लड़ाके अफगानी जर्नलिस्ट की तलाश में घर घुस आए थे. इस दौरान उसके रिश्तेदार को गोली मार दी और दूसरे को जख्मी कर दिया. जर्नलिस्ट के परिवार के बाकी लोग पिछले महीने किसी तरह काबुल से बच निकले थे.
डॉयचे वेले (DW) के डायरेक्टर जनरल पीटर लिमबर्ग का कहना है कि तालिबान की क्रूरता से पता चलता है कि अफगानिस्तान में हमारे कर्मचारी और उनके परिवार कितना खतरा महसूस कर रहे हैं. यह साफ हो गया है कि तालिबान पहले से ही काबुल और दूसरे शहरों में पत्रकारों को तलाश कर उन्हें निशाना बना रहा है. पीटर लिमबर्ग ने इस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए जर्मनी की सरकार से कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
पीटर लिमबर्ग ने एक बयान जारी कर कहा, ‘हमारे एक संपादक के परिजन की तालिबान ने हत्या कर दी है. यह बताता है कि अफगानिस्तान में हमारे कर्मचारी और उनके परिवार कितने गंभीर खतरे में हैं. यह जाहिर है कि तालिबान संगठित तौर पर काबुल और अन्य प्रांतों में पत्रकारों को तलाश रहे हैं. अब ज्यादा वक्त नहीं है.”