
जेट एयरवेज का संकट अभी भी बरकरार है क्योंकि कर्मचारियों को कम्पनी के समाधान योजना पर विश्वास नहीं है. जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा एयरलाइन के लिए मंजूर की गई कालरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जालान की समाधान योजना को चुनौती दी है.
जेट एयरवेज के कर्मचारी बकाया वेतन जैसे मुद्दों को लेकर चिंतित हैं. याचिका में जेट एयरवेज केबिन क्रू एसोसिएशन और भारतीय कामगार सेना ने कहा कि एयरलाइन के सभी कर्मचारियों के बकाया को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) लागत के हिस्से के रूप में शामिल नहीं किया गया था.
खबर ये भी है कि संकट में फंसी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच ने कुछ शर्तों के साथ जून 2021 में जेट एयरवेज के लिए कालरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जालान के रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी दी थी. गौरतलब है कि जेट एयरवेज का परिचालन 18 अप्रैल 2019 से बंद है.
अब कर्मचारियों के दो समूहों ने एनसीएलएटी से अनुरोध किया है कि वह एनसीएलटी द्वारा समूह की समाधान योजना को मंजूरी के आदेश को निरस्त करे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया कि उनकी याचिका पर सुनवाई होने तक आदेश लागू करने पर रोक लगाई जाए. याचिका में कहा गया है कि रिजॉल्यूशन प्लान में जेट एयरवेज की सहायक कंपनी एयरजेट ग्राउंड सर्विसेज लिमिटेड को अलग किया जाना शामिल है. एयरलाइन के कर्मचारियों की सेवाएं, जो समाधान योजना की मंजूरी की तारीख तक पेरोल पर थे, उन्हें अलग कर दी गई इकाई में स्थानांतरित करने का भी योजना में प्रस्ताव है. जानकारी मिली है कि सदसयों को मार्च 2019 के बाद से वेतन नहीं मिला है.
जानकारी मिली है कि रिजॉल्यूशन प्लान के अनुसार, सफल बोलीकर्ता ने जेट एयरवेज के रिवाइवल के लिए 1,375 करोड़ रुपये कैश निवेश करने का प्रस्ताव रखा है. इसमें कहा गया है कि एनसीएलटी की मंजूरी मिलने के बाद छह महीने के भीतर 30 एयरक्राफ्ट्स के साथ एयरलाइन फिर से कामकाज शुरू कर देगी.