
पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही पश्चिम बंगाल में हिंसा का दौर शुरू हो गया. आगजनी, सामूहिक बलात्कार, ह्त्या और लूट की कई वारदातें हुयीं. पीड़ितों के द्वारा बताया गया कि इन वारदातों को अंजाम देने वालों में TMC के लोग मुख्य रूप से शामिल थे. आरोप यह भी लगा कि इन वारदातों को नियंत्रित करने में पुलिस का रवैय्या अत्यंत ही लापरवाह दिखा, जिसके कारण आरोपियों का मन बढ़ा.
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है. इसके बाद सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए चार टीमें भी गठित कर दी है. सीबीआई इस मामले में हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध हत्या के मामलों की जांच करेगी. इसके लिए सीबीआई ने संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में चार टीमों का गठन किया है. जानकारी के मुताबिक पूरी जांच की निगरानी अतिरिक्त निदेशक रैंक के एक अधिकारी द्वारा की जाएगी. उन्होंने बताया कि प्रत्येक टीम में सात सदस्य होंगे, जिनमें एक उप महानिरीक्षक तीन पुलिस अधीक्षक शामिल होंगे.
सीबीआई ने यह कदम कलकत्ता हाईकोर्ट के पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ कथित अपराधों व हत्याओं की सीबीआई जांच के आदेश के बाद उठाया है. गौरतलब है कि गुरुवार को विधानसभा चुनावों के बाद कथित हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था. पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अन्य सभी मामलों की जांच के लिए एक ‘एसआईटी’ के गठन का भी आदेश दिया.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सीबीआई की जांच का आदेश दिया है. हालांकि, इस फैसले से ममता सरकार खुश नजर नहीं आ रही है. ममता सरकार ने कहा है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. हाईकोर्ट के इस फैसले भाजपा को अब हमला बोलने का मौका मिल गया है उसने कहा है कि इस फैसले ने सरकार को उजागर कर दिया है. ममता बनर्जी के करीबी टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि मैं इस फैसले से नाखुश हूं. अगर हर कानून व्यवस्था के मामले में, जो पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, सीबीआई का दखल होता है तो यह राज्य के अधिकार का उल्लंघन है. मुझे यकीन है कि राज्य सरकार स्थिति को समझेगी अगर जरूरत हुई तो सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय लेगी.