
चीन और पाकिस्तान के सहयोग से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा तो कर लिया लेकिन इस बार तालिबान की राह पहले जैसी आसान नहीं दिख रही है. हथियारबंद तालिबान विरोधियों ने तालिबान से मुकाबला शुरू कर दिया है. तालिबान विरोधियों ने तीन जिलों को तालिबान के कब्जे से मुक्त करा लिया है. हालांकि इस मुकाबले में बड़ी संख्या में मौतें हुयी हैं लेकिन तालिबान को सबक सिखाने की भी ठान रखी है. अफगानिस्तान के काबुल में भी लोगों के द्वारा खुलेआम तालिबान के विरोध में प्रदर्शन किये गए हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी ताकतों को बड़ी शुरुआती बढ़त हासिल हुई है। समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध करने वाली ताकतों का कहना है कि उन्होंने पंजशीर घाटी के करीब तीन जिलों को अपने कब्जे में ले लिया है. इन इलाकों में सरकारी बल के जवान अन्य मिलिशिया समूहों के लड़ाकों के साथ एकजुट होना शुरु हो गए हैं। सरकारी बल के जवानों की मिलिशिया समूहों के साथ हुई यह लामबंदी तालिबान के लिए बड़ा खतरा मानी जा रही है.
तालिबान का विरोध करने की कसम खाने वाले रक्षा मंत्री जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने ट्वीट कर कहा है कि “पंजशीर के उत्तर में बगलान प्रांत के देह सालेह, बानो और पुल-हेसर जिलों को अपने कब्जे में ले लिया गया है“
अगर देखा जाए तो सबसे बड़ी बात यह है कि तालिबान की ओर से इस ताजा घटनाक्रम पर कोई बयान नहीं आया है. “टोलो न्यूज” ने एक स्थानीय पुलिस कमांडर के हवाले से कहा है कि बगलान में बानो जिला स्थानीय मिलिशिया बलों के नियंत्रण में है और लड़ाई में बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं.
गौरतलब हो कि अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और पूर्व सोवियत विरोधी मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने पंजशीर से तालिबान का विरोध करने की कसम खाई है.
1980 और 1990 के दशक में इस क्षेत्र के मिलिशिया समूहों ने सोवियत सेना और तालिबान दोनों को खदेड़ भगाया था. मसूद के करीबी लोगों का कहना है कि लगभग छह हजार से ज्यादा लड़ाके पंजशीर घाटी में जमा हुए हैं. इन लड़ाकों के पास हेलीकॉप्टर और सैन्य वाहन भी मौजूद हैं। यही नहीं इन्होंने सोवियत संघ के बख्तरबंद वाहनों की मरम्मत भी की है.
इस बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल करने को लेकर तालिबान की बेचैनी बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि तालिबान ने अमेरिका समेत दुनिया के सभी देशों के साथ बेहतर रिश्ते स्थापित करने का इरादा जताया है. यही नहीं तालिबान के नेता आतंकी संगठन को जवाबदेह बनाने का भरोसा भी दिला रहे हैं और अत्याचार, उत्पीड़न और हत्या के मामलों की जांच कराने का आश्वासन भी दे रहे हैं. मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कहा है कि वह सभी देशों, खासकर अमेरिका के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध बनाना चाहते हैं.