
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ए नारायणस्वामी ने शहीद के साथ ही अन्याय कर दिया. उनको परिजनों को सांत्वना देने जाना था शहीद बसवराज हिरेमठ के घर, लेकिन स्थानीय नेताओं के द्वारा गलत जानकारी देने के कारण वो सांत्वना देने के लिए पहुँच गए जिन्दा फौजी रविकुमार कट्टीमनी के घर पर. यही नहीं नारायणस्वामी ने जिन्दा फौजी के घर पर जाकर परिजन को सरकारी नौकरी देने और घर देने का ऐलान भी कर दिया.
मामला दरअसल यह है कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने “जन आशीर्वाद यात्रा” के मार्फत लोगों से जुड़ाव के लिए अपने केन्द्रीय मंत्रियों को कहा था. इसी के तहत, सरकार में हाल ही में मंत्री बनाए गए नारायणस्वामी “जन आशीर्वाद यात्रा” के तहत गाडग जिले में थे और वहीँ यह घटना घटित हुयी.
केंद्रीय मंत्री नारायणस्वामी को पुणे में एक साल पहले जान गंवाने वाले बसवराज हिरेमठ के बजाय जवान रविकुमार कट्टीमनी के घर ले जाया गया, जो इस समय जम्मू कश्मीर में तैनात हैं. मंत्री के यात्रा कार्यक्रम के अनुसार, उन्हें शहीद बसवराज हिरेमठ के परिवार से मिलना था और उन्हें सांत्वना देनी थी. नारायणस्वामी सांसद शिवकुमार उदासी के साथ मुलागुंड इलाके में पहुंचे, जहां उन्हें कट्टीमनी के आवास ले जाया गया. जब उन्होंने कट्टीमनी के परिजनों को सांत्वना दी तो इससे जवान के परिवार वाले हैरान हो गए. तब केन्द्रीय राज्यमंत्री को अपने गलती का एहसास हुआ.
जब मंत्री ने जवान के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और जमीन दिए जाने की घोषणा की तो वे चौंक गए. बाद में एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता ने कट्टीमनी को वीडियो कॉल किया और उनकी बात मंत्री से कराई. नारायणस्वामी को जब अपनी इस भूल का पता चला तो उन्होंने स्थिति को संभालते हुए जवान की तारीफ की और उनके परिवार को सम्मानित किया.
इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने इस असहज स्थिति के लिए स्थानीय भाजपा नेताओं से नाराजगी जताई. हालांकि, केन्द्रीय राज्यमंत्री नारायणस्वामी ने बाद में शहीद जवान हिरेमठ के घर का दौरा नहीं किया. वहाँ शहीद बसवराज हिरेमठ की मां ने भावुक होते हुए कहा-“सरकार के तरफ से कोई हमारे घर नहीं आया. बताया गया कि मंत्री एक जवान के घर गये जो जीवित हैं. मुझे तो अपना बेटा वापस चाहिए”