
जम्मू-कश्मीर में खुद को आतंकियों का रहनुमा साबित करने के लिए, खुद को पाकिस्तान की मजबूत एजेंट साबित करने के लिए महबूबा मुफ़्ती समय-समय पर भड़काऊ बयान देती रहती हैं. वो बयान देती हैं और सरकार भी उनके विरुद्ध कोई सख्त कार्यवाही नहीं करती. लेकिन आज जब की अफगानिस्तान बुरी तरह से सुलग रहा है, ऐसी संवेदनशील स्थिति में महबूबा मुफ़्ती का यह बयान, उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के लिए काफी है क्योंकि अगर कार्यवाही नहीं हुयी तो उनके इस बयान से कश्मीर के आतंकियों का मनोबल बढ़ता हुआ दिखेगा और कश्मीर की स्थितियां फिर से बदतर होती हुयी दिख सकती हैं.
आज जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने एक तरह से भारत को धमकाते हुए कहा-“तालिबान ने अमेरिका को भागने पर मजबूर किया. हमारे सब्र का इम्तेहान मत लो, मिट जाओगे” उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि आजादी के समय बीजेपी होती तो आज कश्मीर भारत में नहीं होता.
महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को एक कार्यक्रम में तालिबान से तुलना करते हुए कहा-“’जिस वक्त यह बर्दाश्त का बांध टूट जाएगा, तब आप नहीं रहोगे, मिट जाओगे. अफगानिस्तान में देखो क्या हो रहा है. उनको भी वहां से बोरिया-बिस्तर लेकर वापस जाना पड़ा. आप के लिए मौका है अभी भी, जिस तरह वाजपेयी जी ने बातचीत शुरू की थी कश्मीर में, पाकिस्तान के साथ और यहां भी, उसी तरह आप भी बातचीत का सिलसिला शुरू करो”
पीडीपी चीफ ने कहा, 1947 में तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू कश्मीर के नेतृत्व से वादा किया था कि लोगों की पहचान की हर तरह से रक्षा की जाएगी और विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर आजादी के वक्त भाजपा सरकार में होती, तो जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होता.
पीडीपी प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर बीजेपी ने बेहतर समझ नहीं दिखाई तो भारत सांप्रदायिक और धार्मिक आधार पर टुकड़ों में बंटने के लिए तैयार है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी कश्मीर में उठने वाली आवाज को दबाने के लिए अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.