
ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के पीए और सचिव खिलाफ कल 6000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया और आज महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने आपत्तिजनक बयान मामले में, केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे को गिरफ्तार कर लिया. “सियासी बदला” की ये आंधी कब तक और कहाँ तक जाएगी, कहना मुश्किल है. फिलवक्त महाराष्ट्र में राणे की गिरफ़्तारी के बाद, बीजेपी का बवाल जारी है.
दरअसल मामला ये है कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने “जन आशीर्वाद यात्रा” के दौरान महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे पर आपत्तिजनक बयान दिया था. इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बवाल मच गया. नारायण राणे को रत्नागिरी के चिपलून में अरेस्ट कर लिया गया है. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई थी. अब उन्हें स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा. अगर अदालत से रिमांड मिल गयी तो उन्हें नासिक लेकर जाया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता नारायण राणे की गिरफ्तारी को लेकर सियासत गर्म हो गई है. बीजेपी अपने नेता के पक्ष में खुलकर सामने आ गई है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे संविधान का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि “महाराष्ट्र सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे जी की गिरफ़्तारी संवैधानिक मूल्यों का हनन है. इस तरह की कार्यवाही से ना तो हम डरेंगे, ना दबेंगे. भाजपा को जन-आशीर्वाद यात्रा में मिल रहे अपार समर्थन से ये लोग परेशान है. हम लोकतांत्रिक ढंग से लड़ते रहेंगे, यात्रा जारी रहेगी”
उधर पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राणे की गिरफ्तारी को लोकतंत्र की हत्या बताया है. पात्रा ने आज मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “यह गंभीर मामला है और चिंता का विषय है. यह लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने कुछ शब्द ऐसे जरूर कहे होंगे, जिनसे बचा जा सकता है. लेकिन क्या उद्धव सरकार की यही सहनशीलता है, क्या यही कानून है ?”
पात्रा ने आगे कहा कि “महाराष्ट्र के कुछ मंत्री कह रहे हैं कि कानून का पालन करना होगा, लेकिन क्या बीजेपी के दफ्तरों पर पत्थरबाजी कानून है ? क्या लोगों की जान को जोखिम में डालना ही कानून है ? एक मंत्री पर 30-40 एफआईआर करना क्या कानून है ?”
पात्रा ने उद्धव सरकार के मंत्रियों पर केस दर्ज होने का हवाला देते हुए कहा कि “महाराष्ट्र सरकार के 42 में 27 मंत्रियों के खिलाफ केस दर्ज है. अनिल देशमुख पर वसूली के आरोप है, अनिल परब पर भी कई आरोप हैं. क्या उन लोगों की गिरफ्तारी हुई ? क्या उनके घर तक पुलिस गई ?”
पात्रा ने यह भी कहा कि “शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत हर दिन कैसे-कैसे बयान देते हैं ? महिलाओं पर उनके ऐसे बयान हैं कि मैं बोल भी नहीं सकता, क्या उन पर कारर्वाई हुई ?” पात्रा ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और भारत की जनता इसे देख रही है.
सवाल ये है की नारायण राणे के खिलाफ बयान देते हुए संबित पात्रा ने जो कुछ भी कहा, वो विश्लेषण और कार्यवाही के योग्य तो है ही, लेकिन उन्होंने जो संजय राउत के खिलाफ आरोप लगाए हैं और कई सवाल उठाये हैं. उन सवालों के बारे में एक बारगी बीजेपी को भी सोचना होगा कि जब संजय राउत ने भड़काऊ या किसी के बारे में अपमानजनक बयान दिया तो बीजेपी ने उस समय खुलकर संजय राउत के बयान का विरोध क्यों नहीं किया और उनके खिलाफ कार्यवाही हेतु महाराष्ट्र सरकार पर दबाव क्यों नहीं डाला ? बीजेपी चाहती तो संजय राउत के बयान के खिलाफ अदालत में जाकर, संजय राउत की गिरफ़्तारी की मांग कर सकती थी, लेकिन बीजेपी ने उस समय ऐसा क्यों नहीं किया ? आज की राजनीती में सवालों पर सवाल उभरना लाजमी ही क्योंकि कई बार सियासत के खिलाफ सियासत या तो स्वार्थ के कारण या फिर लापरवाही के कारण न तो सामने आती है और न ही विरोध करती है. लोकतंत्र में यह सियासी खेल, लोकतंत्र का हनन करता हुआ तो दिखता ही है.