
अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्ज़ा क्या किया, भारत के एक समुदाय विशेष के लोगों को ऐसा महसूस होने लगा है की उनकी खुद की जीत हो चुकी है. जबकि इन बेवकूफों को कौन समझाए की अफगानिस्तान में तालिबानी मुसलमान जिन लोगों पर जुल्म कर रहे हैं, वो भी मुसलमान ही हैं.
तालिबान के समर्थन में भारत के कई लोगों ने सोशल मिडिया पर लिखा. इनमें से कुछ गिरफ्तार भी हुए हैं. लेकिन राजस्थान से एक ऐसा मामला सामने आया है जो इस बात को दर्शाता है की भारत में तालिबान समर्थकों का हौसला कितना बढ़ चूका है.
राजस्थान के जैसलमेर जिले के भनियाना गाँव में, एक क्रिकेट क्लब ने अपने टीम का नाम ही “तालिबान” रख दिया और स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट में इस नाम के साथ शामिल भी हो गए. लेकिन टूर्नामेंट के आयोजकों को इस टीम के नाम पर ध्यान ही नहीं गया या कहिये तो उन्होंने इसे जानबूझ कर नजरंदाज कर दिया क्योंकि इस इलाके में अल्प्संख्यम समुदाय का दबदबा है और यह इलाका पोखरण फायरिंग रेंज के पास में स्थित है, जहां भारत में परमाणु परिक्षण किया गया था.
लेकिन जब लोगों ने आयोजकों को “तालिबान” नाम के क्रिकेट टीम के बारे में बताया तब उनकी आँख खुली और मामले को यहीं दबाने के लिए आयोजक ने उस टीम को टूर्नामेंट से बाहर किया. टूर्नामेंट के आयोजक इस्माइल खान ने कहा-“तालिबान नाम की टीम को गलती से शामिल कर लिया गया था. इसे अब टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया है” आयोजन समिति के एक अन्य सदस्य ने पुष्टि करते हुए बताया कि टीम को अपना पहला मैच पूरा होने के तुरंत बाद टूर्नामेंट से हटा दिया गया और उस पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस बार ऑनलाइन स्कोरिंग शुरू की गई है, जिसके कारण इस घटना की सूचना मिली. आयोजकों ने माफी भी मांगी और भरोसा दिया कि इस तरह के आयोजन को फिर से दोहराया नहीं जाएगा.
हालांकि आयोजक भले ही कुछ भी बहाना बनाएं, भरोसा जताएं लेकिन एक बात तो तय मानी जानी चाहिए कि इस लापरवाही के खिलाफ “तालिबान” क्रिकेट क्लब एवं आयोजकों के खिलाफ राजस्थान सरकार को मुकदमा दायर किया जाना चाहिए.