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CIA के डायरेक्टर विलियम जे बर्न्स ने आज काबुल में तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से किया गुप्त मुलाकात

यह तो एक विडम्बना की कही जायेगी कि तालिबान के शीर्ष नेता अब्दुल गनी बरादर के साथ CIA के डायरेक्टर विलियम जे बर्न्स ने गुप्त मुलाकात किया. गौरतलब हो कि इसी बरादर को CIA ने वर्ष 2010 में जासूसी कर पाकिस्तान में गिरफ्तार करवाया था. उस दौरान CIA ने बरादर को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा भी बताया था. गौर करने वाली बात ये है कि उसी बरादर को 2018 में अमेरिका ने रिहा करवाया और अब CIA के डायरेक्टर उससे मुलाकात करने के लिए काबुल पहुँच गए.

अगर देखा जाए तो अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यह बाइडन प्रशासन और तालिबान के बीच पहली शीर्ष स्तर की बैठक कही जाएगी. इस बैठक में बैठक के क्या उद्देश्य थे, क्या बता हुयी, इसका खुलासा, दोनों पक्षों में से किसी ने भी अभी तक नहीं किया है क्योंकि ये बैठक गुप्त थी.

इस बैठक के बारे में अमेरिका की नामचीन मिडिया “Washington Post” ने संवेदनशील कूटनीति पर चर्चा करने वाले अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह मुलाकात काफी गुप्त रखी गई है. नाम न छापने पर जानकारी देने वाले इन अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन का अपने शीर्ष जासूस, विदेश सेवा के एक अनुभवी और अपने मंत्रिमंडल में सबसे अधिक सम्मानित राजनयिक को भेजने का निर्णय काफी सोच-समझकर लिया है.

ज्ञातव्य हो कि तालिबान ने कुछ दिन पहले ही अमेरिका को चेतावनी दी थी कि वह काबुल से लोगों को निकालना बंद करे. इतना ही नहीं, तालिबान 31 अगस्त की तारीख का भी इंतजार कर रहा है. इस समय करीब 6000 अमेरिकी सैनिक काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात हैं. एयरपोर्ट के बाउंड्रीवॉल के बाहर तालिबान लड़ाके अपनी बारी का इंतजार कर रहे अफगानी नागरिकों को धमका भी रहे हैं. पिछले कई दिनों में ऐसी भी रिपोर्ट्स आई हैं कि तालिबान लड़ाकों ने इन लोगों पर गोलियां चलाई हैं.

अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने तालिबान के साथ बैठक पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. लेकिन इस बात का कयास लगाया जा सकता है कि इस गुप्त बैठक में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूर्ण वापसी पर दी गई 31 अगस्त की डेडलाइन पर बात हुई होगी. कुछ सहयोगी देशों की तरफ से बाइडन प्रशासन पर दबाव है कि वे तालिबान से बचने के लिए बेताब अफगान सहयोगियों को निकालने में सहायता करने के लिए अपनी सेना को अगले महीने तक तैनात रखें.

अफगानिस्तान से अपने सहयोगियों को निकालने वाले देश जैसे कि ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य अमेरिकी सहयोगियों ने कहा है कि अपने कर्मियों को निकालने के लिए और समय की आवश्यकता है. उधर, तालिबान के एक प्रवक्ता ने अंजाम भुगतने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका 31 अगस्त के बाद अगर अमेरिका अपने सैनिकों को अफगानिस्तान में रखता है तो वह “लाल रेखा” पार कर जाएगा और अमेरिका को इसके अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं. तालिबान ने इस बाबत यह भी कहा है कि जब तक अफगानिस्तान में एक भी सैनिक रहेगा, हम सरकार नहीं बनायेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान में तैनाती को लेकर बाइडन प्रशासन उहापोह में है और वह कोई ठोस निर्णय लेने की स्थिति में नहीं दिख रही है. शायद इस जटिल मामले में निर्णय को आसान बनाने के लिए बाईडन ने CIA के डायरेक्टर को अन्य सहयोगियों के साथ गुप्त वार्ता के लिए काबुल भेजा है. अब देखना ये है की इस गुप्त वार्ता के आधार पर जो निर्णय लिए गए, वो निर्णय क्या हैं. उम्मीद है की आज देर रात या कल सुबह तक अमेरिका के हवाले से गुप्त वार्ता के माध्यम से लिए गए निर्णय के मुख्य बिंदु सामने आएँगे.

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