
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भी तालिबान के लिए मुश्किलें बाकायदा पंजशीर में खड़ी हुयी दिख रही हैं. पंजशीर वो इलाका है जो तालिबानियों के चंगुल से हमेशा अनछुआ ही रहा है. यहाँ की भगौलिक स्थिति तो तालिबान के लिए मुश्किलें खड़ी करती ही हैं, यहाँ के लड़ाके भी तालिबान का मजबूती से विरोध करते हैं और उन्हें मात देते हैं. अगर पंजशीर के लड़ाकों के हौसले की बात की जाए तो इतना जान लीजिये कि अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में पंजशीरी योद्धाओं ने पहले भी सोवियत संघ और तालिबान को करारा जवाब दिया था, जिससे वे इस घाटी पर कभी फतह हासिल नहीं कर पाए.
अफगानिस्तान में प्रतिरोध का केंद्र बनी पंजशीर घाटी को तालिबान आतंकवादियों के चंगुल से बचाने के लिए अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में 9 हजार विद्रोहियों ने मोर्चा संभाल लिया है. पंजशीर घाटी की पहाड़ी चोटियों पर मसूद के जवानों ने हैवी मशीन गन तैनात कर दिए हैं, जिससे तालिबानियों के हमले को मूंहतोड़ जवाब दिया जा सके. इसके अलावा मोर्टार और निगरानी चौकी भी बनाई गई है ताकि तालिबानियों की आमद की स्थिति को पहले ही भांप लिया जा सके और हमले की लिए तैयार रहा जा सके. ये सभी जवान “नैशनल रेजिस्टेंस फ्रंट” का हिस्सा हैं जो अफगानिस्तान में तालिबानराज का विरोध करने में सबसे आगे रहा है.
अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में जमे ये जवान सैनिक की वर्दी में हैं और अमेरिका निर्मित हंवी में बैठकर पूरे इलाके में गश्त कर रहे हैं. उनके साथ मशीनगन से लैस गाड़ियाँ भी चल रही हैं. इन जवानों के पास असॉल्ट राइफल, रॉकेट से दागे जाने वाले ग्रेनेड और संपर्क करने के लिए वॉकी टॉकी सेट भी काफी संख्या में मौजूद हैं. पंजशीर की बर्फ से ढंकी चोटियों के बीच में ये जवान राजधानी काबुल से मात्र 80 किमी दूर तालिबान से मोर्चा ले रहे हैं और तालिबान के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.
तालिबानियों के खिलाफ पंजशिर में इन लड़काओं का हौसला पूरी तरह से बुलंद है. एक पंजशीरी योद्धा ने कहा कि-“हम तालिबानियों का चेहरा जमीन में रगड़ने जा रहे हैं”
रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस घाटी में मूल रूप से ताजिक मूल के लोग रहते हैं. अत्यधिक ऊंची-ऊंची पहाड़ियों की वजह ये घाटी पंजशीर के जवानों को प्राकृतिक सुरक्षा मुहैया कराती है. साथ ही इस घाटी में घुसने का रास्ता काफी संकरा होने के कारण, इस इलाके में हमलावरों के लिए मुश्किलें खडी करती हुयी दिखती हैं.
इन पंजशीरी योद्धाओं के नेता और पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि “अगर तालिबान के वॉरलॉर्ड हम पर हमला करते हैं, तो उन्हें हमारी ओर से करारा जवाब मिलेगा”
तालिबान ने ऐलान किया है कि उसने पंजशीर पर कब्जे के लिए हजारों की तादाद में लड़ाकुओं को भेजा है. हालांकि अभी दोनों ही पक्षों के बीच बातचीत का दौर जारी है. मसूद ने कहा है कि वह तालिबान के साथ युद्ध और बातचीत दोनों के लिए तैयार हैं. पंजशीर के विद्रोहियों में 9 हजार जवान शामिल हैं जो स्थानीय मिलिशिया और अफगान सेना के पूर्व जवान हैं. यहीं पर तालिबान के खिलाफ सियासी कमान और कूटनीति का नेतृत्व कर रहे अफगान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी डटे हुए हैं.