
अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद, भारत का रुख न्यूट्रल ही दिख रह था. भारत वहाँ के बिगड़े हालात के बिच अपने लोगों को वहाँ से निकालने में व्यस्त थी और वहाँ हालत पर नजर टिकाये हुए थी.
लेकिन ऐसा लगता है कि अब भारत सरकार का रुख तालिबान के प्रति थोड़ा नर्म होता दिख रहा है और इस नरमी से, तालिबान के साथ बातचीत के संकेत मिलते हुए दिख रहे हैं. सूत्रों से जानकारी मिली है कि भारत सरकार ने ये तय कर लिया है कि तालिबान से बातचीत की जाएगी. देश हित को ध्यान में रखते हुए जिस भी पक्ष से बातचीत करने की जरूरत है उससे संपर्क किया जाएगा. अगर देखा जाए तो पहले भी सरकार ने तालिबान से संपर्क करने की बात को खारिज नहीं किया था.
हालांकि ये संपर्क किस तरह का होगा, ये अभी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि ये भविष्य में तालिबान पर निर्भर करेगा कि वह भारत के प्रति क्या रुख रखता है और भारत के हितों की किस तरह से सुरक्षा करता है.
वैसे तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी सरकार चलाने की कोशिशें तेज कर दी है. इसके लिए अलग-अलग विभाग बनाकर जिम्मेदारी सौंपने का काम तेजी से चल रहा है. अफगानिस्तान में तालिबान शासन की मान्यता मामले में भारत ने कहा है कि वह इंतजार करेगा और देखेगा कि चरमपंथी समूह खुद को कैसे संचालित करता है और अन्य लोकतांत्रिक राष्ट्र इसके बारे में क्या कदम उठाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से भी बात की थी और अफगानिस्तान सहित द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की थी.