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लखनऊ में पुलिसिया भ्रष्टाचार का शिकार हुए युवक नरेन्द्र मिश्रा ने विधानसभा के सामने किया आत्मदाह का प्रयास

यूपी की राजधानी लखनऊ में विधानसभा के सामने, नरेन्द्र मिश्रा नाम के एक युवक ने, पुलिसिया भ्रष्टाचार से परेशान होकर, अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया. लेकिन स्थिति बिगड़ने से पहले ही विधानसभा के इर्द-गिर्द पहले से तैनात पुलिस बल ने उसे बचा लिया.

जानकारी मिली है की युवक पेशे से खाघ एवं रसद विभाग में ठेकेदारी करता है. युवक का अपने साथी के साथ लेनदेन का विवाद चल रहा है. उसका कहना है कि ठेकेदारी में उसके साझेदारों ने उस पर गबन का आरोप लगाकर, पुलिस के मिलीभगत से उसे जेल भिजवा दिया. युवक ने खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस पर भी प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.

पीड़ित युवक नरेन्द्र मिश्रा का कहना है कि उस पर गबन का झूठा आरोप लगाकर उसे जेल भिजवा दिया गया. उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है, इसीलिए उसके पास आत्मदाह के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है. प्रभारी निरीक्षक श्यामबाबू शुक्ला ने बताया कि युवक को बचा लिया गया है. पीड़ित के बयान के आधार पर मामले की जांच की जा रही है. पुलिस ने युवक को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया है. जहां उसकी हालत में सुधार है.

पीड़ित युवक ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक तालकटोरा संजय राय पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि इसी वर्ष पीड़ित युवक नरेन्द्र मिश्रा के खिलाफ उसके पार्टनर सौरभ सिंह ने धोखाधड़ी व जान से मारने की धमकी  की FIR दर्ज कराई थी. यह FIR गोमतीनगर विस्तार थाने में दर्ज थी, जो बाद में तालकटोरा थाने स्थानांतरित कर दी गई थी. जिसके बाद पुलिस ने जांच कर 24 जून को नरेन्द्र को जेल भेज दिया था. नरेन्द्र 20 जुलाई को जेल से जमानत पर बाहर आया था और धोखाघड़ी एवं झूठे मुक़दमे में फंसाए जाने के कारण काफी मानसिक तनाव में था.

विधानभवन के सामने आत्मदाह का प्रयास करने के  पहले  उसने अपने वाट्सएप पर एक संदेश लिखकर भी वायरल किया है. संदेश में  लिखा है कि “मै लखनऊ के संभागीय खाद्य नियंत्रक (RFC) कार्यालय में ठेकेदारी करता हूं. मार्केटिंग इंस्पेक्टर आदित्य सिंह व उनकी बुआ का बेटा सौरभ सिंह मेरे साथ विभागीय ठेकेदारी में साझेदार हैं. इन्होंने 1.25 करोड़ रुपये के गबन का झूठा आरोप लगाकर मुझे जेल भिजवा दिया. मेरी कहीं सुनवाई नहीं होने पर आत्मदाह के सिवाय कोई और रास्ता नहीं बचा है. इसका मुकदमा तालकटोरा में दर्ज है, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी व अन्य संबंधित लोगों को पूरी जिम्मेदारी के साथ अवगत करा रहा हूं कि 24 अगस्त को मैं विधानभवन के सामने आत्मदाह करूंगा”

मामला गंभीर है क्योंकि जिस प्रदेश के CM के द्वारा “जीरो टॉलरेंस निति” एवं “गुड गवर्नेंस” का दावा किया जाता रहा है, उसी प्रदेश में अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम देने का आरोप अगर लग रहा है तो इस पर आला-अधिकारियों को जरुर गौर फरमाना चाहिए. इस मामले की इमानदारी से जांच कर दोषी अधिकारियों के साथ-साथ धोखेबाज और गबन करने वाले लोगों के ऊपर भी सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए.

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