
भारत की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने आज बुधवार को वाहन उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) के 61वें सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि “सरकारी अधिकारी ऑटो इंडस्ट्री को सपोर्ट देने के बारे में बयान तो बहुत देते हैं, लेकिन जब बात सही में कदम उठाने की आती है, वास्तव में कुछ नहीं होता. यह अब पुरानी बात है कि कार उद्योग और यात्री कार शान-शौकत की चीज है और केवल इसे अमीर ही उपयोग करते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि यह सोच अभी भी कायम है”
भार्गव ने कहा कि देश में वाहन क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में गिरावट के साथ बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव पर है. जब तक ग्राहक के लिए सस्ती कारों के सवाल का समाधान नहीं होता, तब तक यह पारंपरिक इंजन वाहनों और न ही सीएनजी, जैव ईंधन या ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) के जरिये फिर से रफ्तार पकड़ने वाला नहीं है.
उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं, जहां उद्योग में लंबे समय से गिरावट आ रही है और मैंने अभी अमिताभ कांत (नीति आयोग के सीईओ) की बातों को सुना. सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों ने वाहन उद्योग के महत्व के बारे में बयान दिया है. लेकिन ठोस कदम की बात की जाए, जिससे गिरावट की प्रवृत्ति थमेगी, मैंने कुछ भी जमीन पर होते नहीं देखा. भार्गव ने कहा कि अतिरिक्त बिक्री के संदर्भ में बातों से कुछ नहीं होता लेकिन आपको इसे हकीकत रूप देने के लिये ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
मारुति के चेयरमैन ने कहा कि यह अब पुरानी बात है कि कार उद्योग और यात्री कार शान-शौकत की चीज है और केवल इसे अमीर ही उपयोग करते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि यह सोच अभी भी कायम है. भार्गव ने कहा कि अगर इस सोच में बदलाव आता, मुझे लगता है कि योजना बनाने वाले, अर्थशास्त्री, विचारक, लेखक, पत्रकार सभी को बहुत पहले चिंतित होना चाहिए था कि वाहन उद्योग के विकास के लिए क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि आंकड़े सभी के सामने है लेकिन स्थिति में सुधार को लेकर कोई उपाय नहीं किए गए.
भार्गव ने कहा कि मुझे यह कहने में दु:ख हो रहा है कि स्थिति को बदलने के लिए बहुत कम काम किया गया और मेरे लिए यह चिंता वाली बात है. वाहन उद्योग के विकास का कारण इस देश के लोग हैं, जिनकी अपनी कार लेने की आकांक्षा है. क्षेत्र के विकास का कारण कोई नीतिगत कदम नहीं है.
भार्गव ने कहा कि वह चाहते हैं कि देश के ग्राहकों को सुरक्षित और स्वच्छ वाहन उपलब्ध हो, वह इसके समर्थक हैं. अगर हम यूरोपीय मानकों का पालन करते हैं, उसमें लागत जुड़ी है. ऐसे में हम मौजूदा आय स्तर को देखते हुए इसे कैसे सस्ता बना सकते हैं ? उन्होंने कहा कि वह बिजली से चलने वाले वाहनों को लेकर अमिताभ कांत की बातों का पूरा समर्थन करते हैं. मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि हमें ईवी की ओर बढ़ना है. लेकिन इसके पीछे सवाल ईवी के सस्ता होने का भी है.
भार्गव ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि अगर वाहन उद्योग को अर्थव्यवस्था तथा विनिर्माण क्षेत्र को गति देना है, देश में कारों की संख्या प्रति 1,000 व्यक्ति पर 200 होनी चाहिए जो अभी 25 या 30 है. इसके लिए हर साल लाखों कार के विनिर्माण की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि क्या हम आश्वस्त हैं कि देश में पर्याप्त संख्या में ग्राहक हैं जिनके पास हर साल लाखों कार खरीदने के साधन हैं ? क्या आय तेजी से बढ़ रही है ? क्या नौकरियां बढ़ रही है ? मुझे लगता है कि जब हम अपनी योजनाएं बनाते हैं, इन पहलुओं को हमेशा छोड़ दिया जाता है. जब तक हम ग्राहकों के लिये कार के सस्ते होने के सवाल का समाधान नहीं करते, मुझे नहीं लगता कि कार उद्योग सीएनजी, जैव ईंधन या ईवी के जरिए रफ्तार पकड़ेगा.
अगर देखा जाए तो मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने जो कुछ कहा है, उसके ऊपर सरकार को गौर फरमाना चाहिए और ऑटो इंडस्ट्री को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए, केवल नीतियाँ बनाने, बातों से लोगों को खुश करने के बजाये, जमीनी स्तर पर स्थिति को बेहतर करने हेतु कुछ सोचना और करना चाहिए.