
चीन की साजिश के तहत, पाकिस्तान की मध्यस्थता और अमेरिका के अदूरदर्शी निर्णय के परिणामस्वरुप, तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा तो कर लिया है, लेकिन कई ऐसी चुनौतियाँ उनके सामने आज भी खड़ी हैं, जिसके कारण तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार बनाने में देरी हो रही है.
तालिबान की तरफ से हाल के दिनों में बार-बार कहा गया है कि वो महिलाओं के कामकाज और शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं. साथ ही बड़े स्तर पर सरकारी कर्मचारियों को माफी देने की घोषणा भी हुई थी. लेकिन इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों से मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं भी सामने आ रही हैं.
अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर कई सवाल उभर रहे हैं. जैसे कि, अफगानिस्तान के वास्तविक हालात कैसे हैं ? सियासी और आर्थिक भविष्य कैसा होगा ? पड़ोसी देशों, खासकर भारत के साथ तालिबान के कैसे सम्बन्ध होंगे ? न्यूज़18 के ऐसे ही कुछ अहम् सवालों का जवाब दे रहे हैं तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन. इन जवाबों से बहुत हद तक तालिबानी सरकार के मिजाज और उनके द्वारा भविष्य में लिए जाने वाले निर्णय की झलक मिलती है.
सवाल : काबुल की सत्ता पर जीत के बाद लगभग एक हफ्ते हो चुके हैं लेकिन तालिबान अभी सरकार बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है. आपके प्रतिनिधि अमरुल्लाह सालेह तक भी बातचीत के लिए पहुंचे. वर्तमान स्थितियों को आप किस तरह देखते हैं और स्थितियां सुलझने में अभी कितना लंबा वक्त लगेगा ?
उत्तर : विचार और मंत्रणा के लिए वक्त लिया गया है और ये दिखाता है कि हम अफगानिस्तान के सभी नामचीन लोग, राजनीतिज्ञों को नई सरकार में शामिल करना चाहते हैं. इसी वजह से हम सभी से बातचीत पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. वरना काबुल शहर में घुसने के साथ ही हमारे लिए ये आसान था कि पहले ही दिन नई सरकार की घोषणा कर दें. लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. इसके बजाए हमने फैसला किया कि अपने विरोधियों और अन्य पक्षों के साथ वृहद स्तर पर बातचीत की जाए. लेकिन हम आशा करते हैं कि नई सरकार की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी.
सवाल : बीते दो दशकों के दौरान भारत ने पूरे अफगानिस्तान में विकास के कई कार्य संपन्न करवाए हैं. भारत ने सड़कें, बांध और यहां तक कि नई संसद बिल्डिंग भी बनवाई है. आप भारत के योगदान को किस तरह से देखते हैं. ऐसी खबरें हैं कि तालिबान ने भारत के साथ व्यापार रोक दिया है. क्या ये सच है ? क्या स्थाई तौर पर ऐसी ही व्यवस्था रहेगी ?
जवाब : अगर हम भारत के प्रोजेक्ट की बात करें तो अफगानिस्तान के लोगों के लिए अच्छे हैं और यहां के समाज की भलाई में उनका योगदान है. जो प्रोजेक्ट अधूरे हैं, उन्हें भी वो पूरा कर सकते हैं. लेकिन हम पुरानी सरकार का पक्ष लेने के लिए उनका विरोध करते रहे हैं. 20 सालों में जो बात हम चाहते थे उनमें भारत के अफगानी लोगों के साथ बेहतर संबंध शामिल हैं. हमारा पक्ष ये था कि एक कठपुतली सरकार को समर्थन नहीं देना चाहिए.
सवाल : आपने कहा है कि नया अफगानिस्तान पश्चिमी देशों के लोकतंत्र जैसा नहीं होगा. ऐसी स्थिति में आप संसद का क्या करेंगे? क्योंकि इसे चुनावी लोकतंत्र को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था.
जवाब : स्थितियां सामान्य हो जाने और सरकार बन जाने के बाद हम एक कमेटी बनाएंगे जो संविधान बनाने का काम करेगी. निश्चित तौर पर इमारत का इस्तेमाल किसी काम में किया जाएगा.
सवाल : काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान की तरफ से कुछ सकारात्मक कदम दिखाई दिए हैं, जैसे बड़े स्तर पर आम माफी का फैसला. लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को काम करने की छूट नहीं दी जा रही है. गजनी में लड़कियों को जींस पहनने के लिए पीटा गया. शुक्रवार को मानवाधिकार उल्लंघन के 17 मामले सामने आए हैं. आज के वक्त में क्या आप इसे बड़ी चिंता का विषय नहीं मानते ?
जवाब- ये तात्कालिक चीजें हैं. हमारे पास पॉलिसी है जिसके मुताबिक महिलाएं शिक्षा हासिल कर सकती हैं, काम कर सकती हैं, लेकिन उन्हें हिजाब पहनना होगा. ये घटनाएं बेहद मामूली हैं और जल्द ही इन्हें सुलझा लिया जाएगा. महिलाओं को शिक्षा और रोजगार का अधिकार है. इसे लेकर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है.
सवाल : आम माफी दिए जाने के बाद भी अफगानिस्तान के कर्मचारियों में भय का माहौल है. उनकी लिस्ट बनाई गई है और तालिबान के लोग उनके घर पर सर्च कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों में हत्याओं के वीडियो भी देखे गए हैं. आखिर आप इस पर कैसे नियंत्रण पाएंगे या फिर आपके काडर नियंत्रण में नहीं हैं ?
जवाब : हर घर जाकर सर्च करने की बात सही नहीं है. पहले भी मैंने इस बात का खंडन किया था. ग्राउंड पर स्थितियां ऐसी नहीं है, इसलिए उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है. हमारे सैनिक हर बात की और आरोपियों की जांच कर रहे हैं. उन्हें कठघरे में लाया जाएगा. हमारी नीतियों में अंतर नहीं आया है और सभी को संदेश दे दिया गया है कि अगर कोई नियम तोड़ता है तो उनकी जिम्मेदारी तय होगी.
सवाल : हत्या के भय से सभी कर्मचारी ज्वाइन नहीं करना चाहते हैं. अब तालिबान को भी गवर्नेंस प्रदर्शित करने की जरूरत है. एयरपोर्ट से लेकर नागरिक सेवाओं तक सभी चुनौतीपूर्ण काम हैं. आप इस पर फैसला कब तक लेंगे ?
जवाब : जिनके पास पूरे कागजात हैं वो बाहर जा सकते हैं. उन्हें कोई समस्या नहीं है. हमें जानकारी मिली है कि इस्लामिक स्टेट के सदस्य भी पश्चिमी देशों में जा रहे हैं. इसी के मद्देनजर हम एयरपोर्ट पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. इसी वजह से हम सख्त चेकिंग कर रहे हैं. और उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं जिनके पास पूरे कागजात नहीं हैं.
सवाल : अफगानिस्तान में पहली बार विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. महिलाएं भी सड़कों पर आ रही हैं और सभी क्षेत्रों में अपनी भागीदारी चाहती हैं. क्या तालिबान उन्हें ऐसा इसलिए करने दे रहा है क्योंकि वहां इंटरनेशनल मीडिया है या फिर वास्तविकता में इन चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा ?
जवाब- हमने अपनी नीति के मुताबिक महिलाओं को अधिकार देंगे. लेकिन एक मुस्लिम होने के नाते उन्हें हिजाब का नियम मानना पड़ेगा. उनकी चिंताओं के लिए हमने व्हाट्सअप नंबर जारी किए हैं. जिससे उनकी परेशानियां सुलझाई जा सकें. वो शिकायत कर सकती हैं, ये उनका अधिकार है. हमें उनकी परेशानियों को सुनना ही होगा.
सवाल : ऐसी खबरें आई हैं कि तालिबान ने भारतीयों का अपहरण किया और फिर बाद में उन्हें छोड़ा. हालांकि वो लोग भारत सुरक्षित पहुंच गए. लेकिन ऐसी रिपोर्ट क्यों आ रही हैं ? क्या आपको नहीं लगता कि संदेश बिल्कुल साफ होना चाहिए कि जो जाना चाहता है, उसे जाने दिया जाए ?
जवाब : पहले तो मैं इस बात का खंडन करता हूं. मैं अपहरण शब्द से खुद नहीं जोड़ूंगा क्योंकि ये सही शब्द नहीं है. हम पहले ही स्टेटमेंट जारी कर चुके हैं कि सभी काम कर रहे दूतावासों के लिए समुचित व्यवस्था करवाई जाएगी. मुझे पता चला कि कुछ लोगों के कागजात में समस्या थी, इसलिए उन्हें कुछ घंटों के लिए रोका गया था. हमने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा कर रहे हैं. निश्चित तौर पर देश में और बाहर कुछ उपद्रवी तत्व हैं. यही तत्व हमारे खिलाफ प्रोपेगेंडा के लिए चीजें मुहैया करा रहे हैं. जब आप जांच करेंगे तो पाएंगे कि ऐसे आरोप सही नहीं हैं.
सवाल : जब भी कोई भारत-अफगानिस्तान दोस्ती के बारे में सोचता है तो काबुलीवाला और खुदा गवाह जैसी फिल्में याद आती हैं. हाल में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि खुदा गवाह की शूटिंग के दौरान सुरक्षा मुहैया करवाई गई थी. क्या फिर ऐसा होगा ?
जवाब : ये सबकुछ आपके काम और नीति पर निर्भर करेगा. क्या आप अफगानिस्तान को लेकर शत्रुतापूर्ण नीति अपनाएंगे या फिर ये अफगानियों के साथ संबंध के आधार पर एक सकारात्मक नीति होगी. अगर सकारात्मक नीति होगी तो हमारी तरफ से भी वैसी ही प्रतिक्रिया दी जाएगी. ठीक वैसे ही जैसे आपके प्रोजेक्ट्स को लेकर है. जैसे भारत द्वारा अफगानिस्तान के लोगों की भलाई के लिए बांध और अन्य विकास कार्य किए गए हैं. अफगानिस्तान के लोग इसका स्वागत करेंगे.
सवाल : अफगानिस्तान के विकास में सहयोग देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आपका क्या संदेश है ?
जवाब : मेरा संदेश ये है कि हमने युद्ध खत्म कर दिया है और अब ये हमारे लिए पुराना अध्याय है. अब ये नया अध्याय है और अफगानिस्तान के लोगों को मदद की जरूरत है. विश्व के सभी देशों को अफगानी लोगों की जिंदगी बेहतर करने के लिए वित्तीय मदद देनी चाहिए. अफगानिस्तान के लोगों की मदद करना उनके लिए मानवीय बाध्यता भी है. साथ ही हमने बीस सालों के युद्ध में बहुत विनाश और खून-खराबा देखा है. हम उनकी मदद का स्वागत करते हैं.
सवाल : तालिबान के टॉप लीडर मुल्ला अखुंदाजा कहा हैं ?
जवाब : वो बहुत जल्द सामने आएंगे और सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज कराएंगे. हमने कब्जे के खिलाफ 20 वर्षों तक संघर्ष किया है. परिस्थितियों के आधार पर ही उन्हें आम लोगों की नजरों से दूर रहना पड़ा. लेकिन अब वो जल्द ही सामने आएंगे. मेरी मीडिया वालों से एक विनती है कि आपके मीडिया से काफी प्रोपेगेंडा सामने आ रहा है जो सच नहीं है. ये दोनों देशों के लोगों के बची दूरियां पैदा कर रहा है. मुझे लगता है कि आप जो कुछ पब्लिश करें उसमें सच्चाई होनी चाहिए. बजाए कि हमारे विरोधियों के दावों के आधार पर स्टोरी हो.
सवाल : मैं एकबार फिर बॉलिवुड मूवी पर आ रहा हूं. अगर रिश्ते बेहतर रहे तो क्या हम फिर फिल्मों की शूटिंग अफगानिस्तान में देखेंगे ?
जवाब- ये भविष्य की बात है. अभी इस पर मैं कोई कमेंट नहीं कर सकता. मैं कहना चाहता हूं कि अफगानिस्तान में शांति और स्थायीत्व बेहद जरूरी है. हम एक नया अफगानिस्तान चाहते हैं जिसमें वहां के लोगों के लिए शांति और सुरक्षा हो. इसके अलावा भविष्य की बातें मैं भविष्य पर छोड़ता हूं.
तालिबानी प्रवक्ता सुहैल शाहीन के द्वारा दिए गए जवाबों पर कितना विश्वास किया जाए, ये सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि तालिबान कभी अपने बातों पर टिका हुआ दिखा नहीं है. सुहैल शाहीन ने जो कहा, क्या वो तालिबान की सोच है ? इस सवाल का जवाब तो आने वाला वक्त बतायेगा क्योंकि अफगानिस्तान की जमीन का इतिहास रहा है कि यहाँ स्थायित्व ज्यादा दिनों तक टिकता नहीं है, बदलता रहता है. इसलिए सुहैल शाहीन के जवाब कब बदल जाएँ, कहना मुश्किल है. फिर भी उनके जवाबों पर इस बात के आधार पर फिलवक्त तो भरोसा किया जा सकता है क्योंकि खुद तालिबान ही ये दावा कर रहा है कि वह देश में बदलाव लाएगा. ये बदलाव कहाँ तक तालिबान के काले और रक्तरंजित चेहरे को बदलता हुआ दिखाई देगा. ये भी आने वाला वक्त ही बतायेगा. अफगानिस्तान की हालत और हालात, दिशा और दशा के बारे में फिलवक्त कुछ भी निर्णयात्मक तौर पर कहना जल्दबाजी होगी.