
कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन से हुयी ? इस सवाल का जवाब कई देश ढूंढ रहे हैं और सम्बंधित विषय पर जांच भी चल रही है. लेकिन चीन इस मामले में सहयोगात्मक स्थिति में न दिख कर, खुद को संदिग्ध स्थिति में डालता हुआ नजर आ रहा है. इस सवाल के जवाब को लेकर अमेरिका ने एक बार फिर चीन पर सवाल उठाए हैं. इस संबंध में जांच को लेकर चीन पर लगातार उठ रहे सवालों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर महत्वपूर्ण बयान दिया है. बाइडन ने कहा कि आज की तारीख तक चीन लगातार कोरोना वायरस से जुड़ी सूचनाओं में पारदर्शिता को नकार रहा है. कोरोना से हो रही मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा, इसके बावजूद चीन का असहयोगात्मक रवैया बरकरार है.
गौरतलब हो कि कुछ दिन पहले ही चीन ने जानकारी देने से हाथ खींच लिए थे जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन की तलाश रुक गई. चीन के रवैये से एक बार फिर साबित हो गया है कि इस सवाल का जवाब मिलना मुमकिन नहीं दिखता. चीनी अधिकारी आंकड़े देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन भेजे गए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने बुधवार को कहा कि तलाश रुक गई है. वैज्ञानिकों ने कहा था कि इस रहस्य पर से पर्दा उठाने के रास्ते तेजी से बंद हो रहे हैं.
वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, खुफिया समीक्षा के दौरान इस निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला या चीन की प्रयोगशाला से इसका प्रसार हुआ. जर्नल नेचर में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की टिप्पणी में कहा गया कि वायरस की उत्पत्ति संबंधी जांच अहम मोड़ पर है और तुरंत साझेदारी की जरूरत है, लेकिन इसके स्थान पर गतिरोध बना हुआ है. उन्होंने रेखांकित किया कि अन्य बातों के साथ चीनी अधिकारी अब भी मरीजों की गोपनीयता का हवाला देते हुए कुछ आंकड़े देने को राजी नहीं दिखते.
इस साल की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विशेषज्ञों की टीम वुहान भेजी थी जहां पर दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस से मानव के संक्रमित होने का पहला मामला आया था. टीम यह पता लगाने गई थी कि किन कारणों से महामारी फैली, लेकिन वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया में अब तक करीब 45 लाख लोग जान गंवा चुके हैं.