
ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने केवल लोकप्रियता के मामले में ही नहीं बल्कि पार्टी को विभिन्न मदों से हुए आय मामले में भी अन्य पार्टियों को पछाड़ दिया है. अगर ADR के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो भारत में विभिन्न राजनैतिक दलों की आय के मुकाबले भाजपा की ही आय 76% है. वहीँ कांग्रेस की स्थिति “आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपईया” वाली स्थिति में दिख रही है.
ADR आंकड़ों के मुताबिक़, वर्ष 2019 में सात राष्ट्रीय पार्टियों को मिलाकर कुल 4,758 करोड रुपए की आय हुई. इसमें अकेले भाजपा की आय 3,623 करोड रुपए यानी 76% रही. वहीं अन्य तमाम राजनीतिक दलों ने 3,429 करोड रुपए के इलेक्टोरल बांड भुनाए, यह उनकी आय का प्रमुख स्रोत बने. इसमें से 87.29% चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी द्वारा भुनाए गए.
भाजपा ने सालभर में 3,623 हजार करोड़ की आय दर्शाई लेकिन इसमें से 1,651 करोड रुपए ही खर्च किए. कांग्रेस को 682 करोड की आय हुई और उसने 998 करोड खर्च कर दिए यानी उसका खर्च आय से करीब 46% अधिक था. तृणमूल ने 143 करोड रुपए की आय दर्शाई और 107 करोड रुपए खर्च किए. सात दलों में भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, एनसीपी, बसपा और तृणमूल शामिल हैं.
राजनैतिक दलों की आय के मुख्य स्त्रोत माने जाते हैं, “दान और इलेक्टोरल बांड्स”. अगर दान से प्राप्त आय की बात करें तो राष्ट्रीय दलों को सबसे अधिक आय दान और अन्य प्रकार के योगदान से हुई. इस माध्यम से भाजपा को 3,427 करोड़, कांग्रेस को मात्र 469 करोड़, तृणमूल को 108 करोड़, माकपा को 93 व भाकपा को 3 करोड रुपए की आय हुई.
अगर इलेक्टोरल बांड्स के मार्फत प्राप्त आय की बात करें तो भाजपा को 2,555 करोड़ की आय हुई, जो सर्वाधिक थी. कांग्रेस 317 करोड, तृणमूल 100 करोड़ व एनसीपी 20.5 करोड़ आय अर्जित कर सके.
इन आंकड़ों के विश्लेषण से साफतौर पर कहा जा सकता है कि आय वृद्धि में मामले में, भाजपा ने 2018-19 में 2,410 करोड कमाए. अगले वर्ष यह 3,623 करोड़ पहुंच गई. जबकि इसके विपरीत कांग्रेस की आय 25.59% घट कर 918 करोड से 682 करोड रह गई.