
यूपी में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी तिकड़मबाजी और समीकरण भी सेट किया जाने लगा है. यूपी के अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के बीच अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए, भाजपा एक दर्जन से अधिक उपायों पर भरोसा कर रही है. इन उपायों में केंद्रीय मंत्रिमंडल में समुदाय के 27 मंत्रियों को शामिल करना भी शामिल है. इन उपायों के बारे में लोगों को बताने के लिए उत्तर प्रदेश ओबीसी मोर्चा अगले महीने से अयोध्या से कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर रहा है.
अगर देखा जाए तो इतने बड़े अभियान का फोकस अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में गैर-यादव, छोटी या बड़ी ओबीसी जातियों का समर्थन हासिल करना है. ओबीसी उत्तर प्रदेश के कुल मतदाताओं का 50 प्रतिशत से अधिक है, जबकि गैर-यादव ओबीसी राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 35 प्रतिशत है.
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले सोशल इंजीनियरिंग को संबोधित करने के लिए हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल में उत्तर प्रदेश के सात मंत्रियों को शामिल किया गया था उनमें से तीन ओबीसी समुदायों से हैं.
भाजपा उत्तर प्रदेश ओबीसी मोर्चा ने राज्य भर में संगठनात्मक कार्यों की निगरानी के लिए तीन टीमों का गठन किया है. उत्तर प्रदेश भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप ने बताया कि हमने राज्य स्तर पर 32 टीमों का गठन किया है, जो उत्तर प्रदेश के छह क्षेत्रों 75 जिलों में काम का आयोजन करेंगे. 2 सितंबर को अयोध्या से, हम लोगों को भाजपा की सरकार की कल्याणकारी पहलों के बारे में बताने के लिए एक आउटरीच कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. यह अभियान क्या रंग लाएगा, कितना सफल हो पायेगा ? इन सवालों का जवाब तो आगामी चुनाव का परिणाम ही बतायेगा.