
अमेरिका की शर्मनाक हार ही कही जायेगी कि करीब 19 साल 8 महीने तक तालिबानियों से जंग लड़ने के बाद, अमेरिका को बड़े बेआबरू होकर अफगानिस्तान से कूच करना पड़ा है. इस जंग के दौरान अमेरिका को अपने 2461 सैनिकों से हाथ धोना पड़ा. अफगानिस्तान से जाते-जाते भी अमेरिका को ISIS के भीषण हमले का सामना करना पड़ा, जिसमें उसके 13 सैनिक मारे गए. अमेरिका के लिए अब सोचने का वक्त है की इस जंग से उसने क्या खोया और क्या पाया ?
काबुल एयरपोर्ट से कल सोमवार की देर रात आखिरी अमेरिकी सैनिक की वापसी के बाद तालिबान आतंकियों ने जमकर जश्न मनाया. वहीं कतर में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि-“अब हमारा देश पूरी तरह से आजाद है और देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई”
सुहैल शाहीन ने कल सोमवार देर रात को ट्वीट करके कहा-“आज रात 12 बजे, आखिरी अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से लौट गया. हमारे देश को अब पूरी आजादी मिल गई है. अल्लाह का शुक्रिय. सभी देशवासियों को दिली बधाई और धन्यवाद.” इसी के साथ ही अब पंजशीर घाटी को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरा नियंत्रण हो गया है.
अमेरिका की वापसी के बाद, तालिबानी जहां देशभर में जश्न मना रहे हैं, वहीं राजधानी काबुल की सड़कों पर सन्नाटा पसरा है. तालिबान के लिए यह एक ऐतिहासिक जीत है. तालिबान ने हमेशा से ही अफगानिस्तान में विदेशी सेनाओं के खिलाफ अपनी लड़ाई के बारे में बयान दिया है और वे इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ बताते रहे हैं.
लेकिन अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से चले जाने के बाद अब देश के नए शासकों को कई सवालों का जवाब देना होगा. तालिबान को अब अफगानिस्तान के फिर से निर्माण का बड़ा और पेचीदा काम करना होगा. वैसे तालिबान ने ऐलान किया है कि वह एक ऐसी कार्यकारी सरकार बनाएंगे जिसमें सभी पक्षों और गुटों को शामिल किया जाएगा. इसमें अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक भी शामिल होंगे.
तालिबान का ऐलान और तालिबान का वास्तविक काम, क्या होगा, कैसे होगा, ये तो समय बतायेगा. फिलवक्त तो सवाल ये भी है कि जिस आजादी का जश्न तालिबानी मना रहे हैं, उस आजादी को कब तक और कैसे कायम रख सकेंगे ? सवाल ये भी है की अफगानिस्तान में तालिबान के चंगुल से बाहर दिख रहा पंजशीर का इलाका और अफगानिस्तान में ISIS का गढ़, क्या तालिबानी सरकार को चैन से रहने देगा ? … सवाल कई हैं, जवाब वक्त देगा.