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भारत के लिए नया खतरा बन सकता है अफगानिस्तान में सक्रिय हुआ आतंक का नया नेटवर्क “तहरीक-ए-तालिबान अमारात”

अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्ज़ा, भारत के लिए कई बड़े आतंकी खतरे को जन्म देता हुआ दिख रहा है. तालिबान की जमीन अब पाकिस्तान के द्वारा भारत में आतंकी गतिविधियों को बढाने के लिए की जा सकती है. तालिबान और पाकिस्तान का ये नापाक गठजोड़ भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. 

खुफिया रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि अफगानिस्तान में आतंकी गठजोड़ का नया नेटवर्क तैयार हुआ है. इस नेटवर्क का नाम तहरीक-ए-तालिबान अमारात यानि TTA है. इस गठजोड़ में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैय्यबा और हक्कानी नेटवर्क शामिल हैं, इस गठजोड़ की पटकथा और डायरेक्शन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हाथों में है.

अगर देखा जाए तो लश्कर और जैश हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है. ये दोनों ही संगठन हर वक्त हिंदुस्तान पर हमले की साजिश में जुटे रहते हैं. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक ISI ने ऑपरेशन अफगान के तहत अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों के बीच तालमेल की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर और उसके भाई मोहम्मद इब्राहिम अजहर को सौंपी हैं. इसकी बड़ी वजह मसूद अजहर और मुल्ला बारादर का करीबी होना है. अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने के बाद ISI और मसूद अजहर की मुल्ला बारादर के साथ बैठक भी हो चुकी हैं.

ये वही मसूद अजहर है जिसे 1999 में इंडियन एयलाइंस के विमान हाईजैक के बाद भारत को अपनी हिरासत से छोड़ना पड़ा था. ये विमान अफगानिस्तान के कंधार में खड़ा किया गया था और उस वक्त वहां तालिबान का शासन था. तब मसूद के साथ तालिबान था. अब तालिबान के साथ मसूद और ISI खड़ी है. वैसे भी मसूद ने तालिबान की मदद के लिए जैश के आतंकियों को भेजा था. मतलब साफ है कि इन आतंकी संगठनों के लिए ये वक्त दोनों तरफ से एहसान चुकाने का है. जैश अपने लड़ाकों के जरिए तालिबान के दूसरे नए कैडर को ट्रेनिंग देने में मदद करेगा. जबकि लश्कर के सरगना हाफिज सईद को लाहौर में बैठकर अफगानिस्तान और कश्मीर के लिए फंड जमा करने का काम सौंपा गया है. इसको ऐसे समझिए कि अजहर ट्रेनिंग करवाएगा और हाफिज फंडिंग जुटाएगा. पाकिस्तान अब तालिबान को ये भरोसा दिलाना चाहता है कि वो पूरी तरह उसके साथ हैं.

आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार का रूख साफ है. सुरक्षाबलों के हौंसले और खुफिया जानकारियों के बूते हिंदुस्तान बार-बार पाकिस्तान के हर मंसूबे पर पानी फेर रहा था. लेकिन तालिबान के आने के बाद एक बार फिर पाकिस्तानी आतंकियों को उम्मीद की किरण दिखी है और वो इस मौके को किसी भी हाल में हाथ से जाने नहीं देना चाहता है और भारत में आतंकी गतिविधियों को फिर से सक्रीय करने के लिए साजिशें रचने की कवायद को तेज करता हुआ नजर आ सकता है.

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