
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी को भले ही अमेरिका “शान्ति समझौते” का नाम देकर, अपनी बदनामी को छुपाने की कोशिश करे, लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, तालिबानी चंगुल में फंसे अफगानिस्तान के हालत को देखकर दुनिया के कई देश कहने लगे हैं की यह अमेरिका की शर्मनाक हार है.
अफगानिस्तान में तालिबान के हाथों अमेरिका की करारी शिकस्त के बाद ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने बड़ा बयान दिया है. वालेस ने कहा कि अमेरिका अब सुपरपावर नहीं माना जाएगा। उन्होंने इशारों ही इशारों में कहा कि अमेरिका, न अब बड़ी शक्ति है न सुपरपावर. वालेस का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपने नाटो सहयोगियों के हमलों से बुरी तरह से घिरे हुए हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या अफगानिस्तान से ब्रिटेन का निकलना ब्रिटिश शक्ति की सीमा को दर्शाता है, इस पर वालेस ने कहा कि “यह स्वाभाविक है क्योंकि ब्रिटेन एक सुपरपावर नहीं है” इसके बाद उन्होंने अपना फोकस बदलते हुए कहा, “लेकिन एक महाशक्ति जो किसी चीज पर टिके रहने के लिए तैयार नहीं है, वह शायद महाशक्ति भी नहीं है. वह निश्चित रूप से एक वैश्विक ताकत नहीं है, यह सिर्फ एक बड़ी शक्ति है”
रक्षा मंत्री के करीबी लोगों का कहना है कि वालेस की यह बेहद तल्ख टिप्पणी अमेरिका को लेकर थी. ब्रितानी मंत्री राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य ताकत की ओर इशारा कर रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं है जब वालेस ने सार्वजनिक रूप से अमेरिका की आलोचना की है. इससे पहले जब तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा कर रहा था, तब वालेस ने डोनाल्ड ट्रंप के शांति समझौते को एक गलती करार दिया था.
इस आलोचना से बेपरवाह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने युद्धग्रस्त देश से अपने बलों की वापसी के कदम को सही ठहराते हुए कहा है कि इतिहास में यह कदम ‘तार्किक और उचित निर्णय’ के रूप के दर्ज किया जाएगा. अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के फैसले के कारण बाइडन प्रशासन की आलोचना हो रही है, क्योंकि बलों के लौटने के कारण तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, जिसके कारण देश में अराजकता फैल गई है.