
बिहार में पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह चहल-पहल पुरे तरह से गहमा-गहमी और सियासी दौर से गुजर रहा है. पंचायत चुनाव में इस बार कई नजारे बदले-बदले से देखने को मिल रहे हैं. पांच साल के लिए ग्राम पंचायत की सत्ता के गठन की कवायद शुरू हो चुकी है. मुखिया और सरपंच पद के लिए पुराने और नए भागीदार अपनी ताल ठोक रहे हैं और अपने दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए सक्रीय हो उठे हैं.
लेकिन इस बार बिहार पंचायती राज विभाग ने मुखिया और सरपंच के कई अधिकार और जिम्मेदारियां बदल डाला है. ग्राम सत्ता के दोनों प्रमुख पदों मुखिया और सरपंच के दायित्वों का नए सिरे से निर्धारण कर दिया गया है. दोनों पदधारियों के लिए बहुत कुछ कटौती सा लग सकता है तो कई जिम्मेदारी बढ़ी हुई सी लगेगी.
बिहार पंचायत चुनाव से पहले पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया व सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए निर्देशित किया है कि अब नए नियम के मुताबिक मुखिया को जहां ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा, वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेवारी होगी. इसके साथ ही सरपंच के जिम्मे गांव में सड़कों के रख-रखाव से लेकर सिंचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य भी शामिल होंगे.
अब क्या होंगे मुखिया के कार्य और अधिकार ?
बिहार पंचायती राज विभाग के अनुसार इस बार चुनाव जीतने वाले मुखिया को अब अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में ग्राम पंचायत की कम से कम चार बैठकें आयोजित करनी होंगी. बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी. इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे होगा.
क्या होंगे सरपंचों के कार्य और अधिकार ?
सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं. इसमें ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने के साथ ही अब ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इनके पास रहेंगी. इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा. अगर देखा जाए तो कुल मिला कर नए अनुभव और नई कार्यपद्धति से मुखिया और सरपंच को गुजरना पड़ेगा.
अब देखना ये है कि बिहार पंचायती राज के द्वारा निर्धारित किये जाने वाले इन नए जिम्मेवारियों और अधिकारों के प्रति, कितने चयनित मुखिया और सरपंच खरे उतरते हैं. वैसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ग्रामीण जनता भी अपने अधिकारों के प्रति सजग और जागरूक दिखे ताकि वो अपने पंचायत के मुखिया और सरपंच को उनकी जिम्मेवारी को पूर्ण करने के प्रति दबाव बनाए.