
देश की केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के द्वारा क्या काम किया जा रहा है, इसका मूल्यांकन सुप्रीमकोर्ट करेगी. ऐसे कई मामले इस देश में ऐसे आये जिसमें सीबीआई जांच तो होती है लेकिन वो मामला फिर ठन्डे बस्ते में जाता हुआ नजर आने लगता है. मामले की जांच प्रगति जन-मानस की नजर से ओझल रहता है. क्या कार्यवाही हो रही है, जांच की प्रगति क्या है, इसकी जानकारी मिडिया भी नहीं लेती. काफी साल गुजर जाने के बाद, रिपोर्ट जब आती है तो पता चलता है की साक्ष्य मौजूद न होने के कारण, दोषियों पर कार्यवाही नहीं हो सकी, कोर्ट में जो चार्जशीट जमा की गयी, उस पर कोर्ट भी सवालिया निशान खड़ा करता हुआ दिखता है.
गौरतलब बात ये भी है कि भारत की सबसे पुरानी जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) हमेशा राजनीतिक दलों के निशाने पर रहती है. आए दिन विपक्षी दल इस जांच एजेंसी पर निष्पक्ष न होने का आरोप लगाते रहते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने का फैसला किया है. यानी देश की सबसे बड़ी अदालत इस बात का आंकलन करेगी कि आखिर सीबीआई की सफलता दर क्या है. साथ ही इस डेटा का भी मूल्यांकन किया जाएगा कि सीबीआई कुल कितने केस के ‘तार्किक निष्कर्ष’ यानी लॉजिकल कंक्लूजन पर पहुंची.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर को परफॉर्मेंस का पूरा डेटा सौंपने को कहा है. इसके तहत उन्हें ये भी बताना होगा कि कुल कितने केस में जांच एजेंसी आरोपी को ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में सज़ा दिलाने में कामयाब रही. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुद्रेंश की पीठ ने ये भी कहा कि सीबीआई के लिए सिर्फ इतना ही काफी नहीं है कि वो केस दर्ज कर जांच करे, बल्कि उन्हें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि दोषी को सज़ा भी मिले. कई बार ऐसा देखा गया है कि सीबीआई की तरफ से केस फाइल करने में देरी हुई है. सुप्रीम कोर्ट यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जांच एजेंसी कितनी सक्षम है.
सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील संजय जैन ने जांच एजेंसी का बचाव किया. उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में सिर्फ एडवर्सरियल कानूनी प्रणाली के तहत सीबीआई के काम को नहीं आंका जा सकता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस तर्क पर आपत्ति जताई और कहा कि दुनिया के सभी देशों में जांच एजेंसी की सफलता दर इसी तरह आंकी जाती है और सीबीआई इससे अलग नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि “हमें उन केस के सारे डेटा चाहिए जिसकी जांच सीबीआई इस वक्त कर रही है. हमें ये भी बताया जाए कि कब से किस केस पर सीबीआई काम कर रही है. उनकी हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट में सफलता दर क्या है.” सीबीआई को ये सारे डेटा चार हफ्ते के अंदर देने होंगे.