Home>>Breaking News>>नकली वैक्सीन से रहें सावधान, केंद्र सरकार ने बताया कैसे करें पहचान
Breaking Newsताज़ाराष्ट्रिय

नकली वैक्सीन से रहें सावधान, केंद्र सरकार ने बताया कैसे करें पहचान

कोरोना वैक्सीन भी एक प्रोडक्ट है और प्रोडक्ट होने के नाते इसमें भी नक्काली होना लाज़मी है क्योंकि नक्कालों को तो बस अपनी कमाई की चिंता होती है, उन्हें इंसानी जान की कीमत से कोई मतलब नहीं होता. मानवों के वेश में, ऐसे दानवों की तादाद केवल अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है.

कोरोना  के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना वैक्‍सीन को सबसे बेहतर सुरक्षा उपायों में से एक माना जा रहा है. यही कारण है कि कोरोना की तीसरी लहर के आने से पहले ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को कोरोना वैक्‍सीन दिए जाने की बात कही जा रही है. एक ओर जहां कोरोना वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम को तेज करने की बात कही जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के कारोबार का खुलासा हुआ है. बता दें कि हाल ही में दक्षिण-पूर्वी एशिया और अफ्रीका में नकली वैक्‍सीन पाई गई है, जिसके बाद विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने सभी देशों को फर्जी टीके को लेकर सचेत किया है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के पहुंचने की खबर मिलने के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्‍यों को कई ऐसे मानक की जानकारी दी है, जिससे ये पता लगाया जा सकेगा कि वैक्‍सीन असली है या निकली. केंद्र ने इस संबंध में सभी राज्‍य सरकारों को एक पत्र भी लिखा है. पत्र के जरिए राज्‍यों को कोवैक्‍सीन, कोविशील्‍ड और स्‍पूतनिक-वी कोरोना वैक्‍सीन के बारे में कई तरह की जानकारी दी गई है. सरकार ने जो जानकारी दी है उससे आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि वैक्‍सीन असली है या नकली.

बता दें कि देश में इस समय तीन कोरोना वैक्‍सीन ही लगाई जा रही है. कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-वी तीनों वैक्सीन के लेबल, उसके कलर, ब्रांड का नाम आदि से नकली और असली वैक्‍सीन की पहचान की जा सकती है.

कोविशील्ड वैक्सीन की कैसे करें पहचान ?

– SII का प्रोडक्ट लेबल गहरे हरे रंग में होगा.
– ब्रांड का नाम ट्रेड मार्क के साथ (COVISHIELD) लिखा दिखाई देगा.
– इसके ऊपर CGS NOT FOR SALE भी लिखा होगा.

कोवैक्सीन की कैसे करें पहचान ?

– लेबल पर अदृश्य UV हेलिक्स लगा है. इस लेबल को सिर्फ यूवी लाइट में ही देखा जा सकता है.
– लेबल क्लेम डॉट्स के बीच छोटे अक्षरों में COVAXIN लिखा है.
-कोवैक्सिन में ‘X’ दो रंगों में दिखाई पड़ता है, इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहते हैं.

स्पूतनिक-वी की कैसे करें पहचान ?

– स्पूतनिक-वी वैक्सीन रूस में मौजूद दो प्‍लांट में तैयार की गई है. ऐसे में दोनों के लेबल अलग-अलग हैं. हालांकि दोनों में जानकारी एक जैसी ही है, बस मैन्युफेक्चरर का फर्क है.
– रूस से अभी तक जितनी भी वैक्‍सीन भेजी गई हैं उसमें से सिर्फ 5 एमपूल के पैकेट पर ही इंग्लिश में लेबल लिखा है. इसके अलावा सभी पैकेटों में रूसी में लिखा है.

केंद्र सरकार ने नकली वैक्सीन की पहचान का तरीका तो बता दिया लेकिन भारत में फिलवक्त जो सरकारी या गैर-सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन लगाया जा रहा है, वहां वैक्सीन को चेक कर के लगवाता कौन है ? अगर कोई चेक करना भी चाहे तो संभव है की थोड़ी बहुत कीच-कीच के बाद उन्हें वैक्सीनेशन के पहले वैक्सीन का वायल देखने को मिल जाए, लेकिन सरकारी अस्पतालों में तो फ्री में वैक्सीन लगाए जा रहे हैं, ऐसी जगहों पर अगर किसी ने वैक्सीनेशन से पहले वैक्सीन की जांच-परख की बात भर कर डाली तो बवाल मचता हुआ दिख सकता है. अस्पताल के कर्मचारी या अधिकारी, ऐसे लोगों को बिना वैक्सीन लगाए ही बैरंग वापिस भेज सकते हैं.

इसलिए बेहतर तो ये होगा कि सरकार ऐसी व्यवस्था बनाये, जिसके मार्फत नकली वैक्सीन की खेप वैक्सीनेशन सेंटर पर ही नहीं पहुँच पाए. नकली वैक्सीन के खेल में सरकारी अस्पतालों की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि सरकारी अस्पतालों में असली वैक्सीन को निजी अस्पताल में बेचने और नकली वैक्सीन को सरकारी अस्पताल में उपयोग करने का भी खेल खेला जा सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *