
पाकिस्तान ने जिस तालिबान का हौसला बढ़ाया, आर्थिक रूप से मदद की, उसी तालिबान का दोस्त TTP अब पाकिस्तान के लिए नासूर बनता हुआ नजर आ रहा है. सबसे आश्चर्यजनक बात तो ये है की तालिबान, अपने इस दोस्त से निपटने के लिए, पाकिस्तान की मदद करने के बजाये, उसे खुद ही मामले से निपटने की सलाह दे रहा है.
खबर ये है कि पाकिस्तान के क्वेटा में आज रविवार को हुए आत्मघाती हमले में चार पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद से इमरान खान भड़के हुए हैं. इस हमले के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का हाथ बताया जा रहा है. यह अफगानिस्तान के तालिबान का ही एक आतंकी धड़ा है, जो पाकिस्तान के कई प्रांतों में सक्रिय है. पाकिस्तान कई बार तालिबान से टीटीपी को रोकने की अपील भी कर चुका है. लेकिन, तालिबान ने हर बार पाकिस्तान को टीटीपी से खुद ही निपटने की सलाह दी है.
इस घटना के बारे में बलूचिस्तान पुलिस का कहना है कि आत्मघाती हमलावर एक मोटरसाइकिल पर सवार था. उसने फ्रंटियर कॉप्स के चेकपोस्ट से अपनी गाड़ी भिड़ा दी. जिसके बाद जोरदार धमाका हो गया. इस धमाके से पाकिस्तानी सेना के फ्रंटियर कॉप्स के चार जवान मारे गए और 19 लोग घायल हो गए. बलूचिस्तान काउंटर-टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD) ने पुष्टि की कि आत्मघाती हमले ने मस्तंग रोड पर सोहाना खान FC चेकपोस्ट को निशाना बनाया था.
इमरान खान ने ट्वीट कर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की आत्मघाती हमले की निंदा की है. उन्होंने लिखा है कि “मेरी संवेदना शहीदों के परिवारों के साथ है और घायलों के ठीक होने की प्रार्थना करता हूं. विदेशी समर्थित आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम कर हमें सुरक्षित रखने के लिए हमारे सुरक्षा बलों और उनके बलिदान को सलाम.”
“बिजनेस रिकॉर्डर” की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2014 में पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब ने टीटीपी की कमर तोड़कर रख दी थी. तब इसके आतंकी, पाकिस्तान से भागकर अफगानिस्तान चले गए थे. अब पिछले कुछ साल से ये आतंकवादी वापस पाकिस्तान लौट आए हैं और लगातार हमले कर पाकिस्तानी सेना और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कई राज्यों में टीटीपी के हमलों के कारण पाकिस्तानी सरकार और सेना की नींद उड़ी हुई है.
पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को 2008 में ब्लैकलिस्ट किया था. टीटीपी ने पिछले 10 साल में पाकिस्तान में कई बड़े हमले किए हैं. इस आतंकवादी संगठन का सबसे बड़ा गढ़ इमरान खान का गृह राज्य खैबर पख्तूनख्वा है. हाल में ही टीटीपी के आतंकियों ने खैबर पख्तूनख्वा में चीन के इंजीनियरों की बस पर हमला कर 13 लोगों को मार दिया था. इतना ही नहीं, इस हमले से एक दिन पहले इसी राज्य में पाकिस्तानी सेना पर हमला कर उनके एक कैप्टन और एक जवान की हत्या कर दी थी.
तहरीक-ए-तालिबान अफगानिस्तान (टीटीए) से जुड़े का कहना है कि इस आतंकी संगठन ने पाकिस्तान सरकार से दो टूक कहा है कि वे टीटीपी आतंकवादियों को अफगानिस्तान से निष्कासित नहीं कर सकते हैं. उन्होंने पाकिस्तान के ऊपर आतंकवादी हमला करने के लिए अफगानी जमीन के इस्तेमाल को रोकने में भी असमर्थता जताई है. टीटीए ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वे खुद टीटीपी के साथ शांति समझौते को लेकर बातचीत करे.
अगर देखा जाए तो पाकिस्तान को ये भी डर है कि अगर अफगानिस्तान में हिंसा चरम पर पहुंचती है तो लगभग 650000 से 750000 शरणार्थी उनकी देशों में आएंगे. ऐसे में इन शरणार्थियों में शामिल होकर टीटीपी समेत कई आतंकवादी संगठन के लड़ाके पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में इमरान सरकार के लिए मुश्किलें बढती हुयी नजर आ रही हैं.