
कल वैष्णो माता मंदिर में दर्शन के अगले दिन आज शुक्रवार को राहुल गांधी ने जब जम्मू में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया तो ‘जय माता दी’ के नारे लगवाए. इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अपना रिश्ता जोड़ते हुए कहा कि वह और उनका परिवार भी कश्मीरी पंडित है. इससे पहले भी कभी कांग्रेस ने तो कभी खुद राहुल गांधी ने जोर देकर अपनी पहचान जनेऊधारी ब्राह्मण, दत्तात्रेय गोत्र वाले ब्राह्मण या कश्मीरी पंडित के तौर पर बताई है. अब सवाल ये उठता है कि राहुल गांधी आखिर क्यों इस पहचान को पुख्ता करना चाहते हैं, उनके बयानों के सियासी मायने क्या हैं ?
आज जम्मू की एक जनसभा में राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें यहां आकर घर जैसा महसूस होता है. उन्होंने कहा-“मैं और मेरा परिवार भी कश्मीरी पंडित है और हम झूठ नहीं बोलते हैं. मैं अपने कश्मीरी भाई और बहनों की समस्या सुलझाऊंगा. जब भी मैं जम्मू-कश्मीर आता हूं, ऐसा लगता है जैसे घर आया हूं. मेरे परिवार का जम्मू-कश्मीर से लंबा रिश्ता है”
कभी गोत्र तो कभी जनेऊ तो कभी कश्मीरी पंडित के बहाने राहुल गांधी या कांग्रेस की कोशिश ब्राह्मणों को साधने की है, जो कभी उनका मजबूत वोट बैंक होते थे. अगले साल की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. सियासी लिहाज से देश के सबसे बड़े और सबसे अहम सूबे यूपी में तो सभी पार्टियां ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश में हैं. कोई पुलिस ‘एनकाउंटर’ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के परिजनों के जरिए ब्राह्मणों को साधने की कोशिश में है तो कोई ‘प्रबुद्ध वर्ग’ सम्मेलनों के जरिए. बीजेपी अपने इस वोट बैंक को बचाकर रखने की जद्दोजहद में है तो मायावती की बीएसपी को 2007 की तरह चमत्कार की उम्मीद है. समाजवादी पार्टी भी ब्राह्मणों पर डोरे डालने से पीछे नहीं है तो यूपी में पहली बार दमखम दिखाने की आस लगाई आम आदमी पार्टी भी योगी राज में ‘ब्राह्मणों के शोषण’ का नैरेटिव सेट करने की कवायद में है. यूपी में तीन दशकों से ज्यादा वक्त से सियासी वनवास काट रही कांग्रेस को देश के इस सबसे बड़े सियासी सूबे में संजीवनी की तलाश है. उसकी नजर भी ब्राह्मण वोटों पर है. दिलचस्प बात यह है कि सूबे के आखिरी ब्राह्मण मुख्यमंत्री भी कांग्रेस के ही थे-नारायण दत्त तिवारी. खुद को कश्मीरी पंडित बता राहुल गांधी कांग्रेस से छिटक चुके ब्राह्मण वोट बैंक को एक तरह से साधने की कोशिश की है.