
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. कल राहुल गाँधी ने वैष्णो देवी का दर्शन किया और आज शुक्रवार को उन्होंने जम्मू में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संबोधित किया. इस सभा में राहुल गांधी के सामने अचानक से असमंजस वाली स्थिति पैदा हो गई क्योंकि पार्टी की जम्मू प्रभारी रजनी पाटिल ने, राहुल गाँधी के सामने ही, कांग्रेस नेताओं की कमियाँ निकालनी और गिनानी शुरू कर दी. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने भी नारेबाजी कर के रजनी के आरोपों का समर्थन किया.
दरअसल जम्मू में आज हुए कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के सम्मेलन में कांग्रेस की जम्मू प्रभारी रजनी पाटिल ने राहुल गांधी को बताते हुए कहा कि यहां पर आपके सामने बैठे कार्यकर्ताओं ने बड़ी परेशानी झेली है. बड़े दुख के साथ ये आपके सामने आए हैं. इन्होंने बीते दो सालों में काफी परेशानियों का सामना किया है. इनकी लड़ाई जम्मू और केंद्र सरकार दोनों से है. उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बारे में कहा कि राहुल जी ये कांग्रेस के ऐसे वीर सिपाही हैं जो आपके लिए जान भी देने को तैयार रहते हैं. ऐसे कार्यकर्त्ता ही कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत हैं.
रजनी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये पार्टी की सबसे बड़ी ताकत होते हुए भी कमजोर हैं क्योंकि इनको हमारी और आपकी तरफ से कोई ताकत नहीं मिलती. सभी बड़े नेता ताकत देने को कहते हैं लेकिन इस पर कोई अमल तक नहीं करता है. ये हमारी और कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी कमजोरी है. इसपर आपको ध्यान देने की जरूरत है. जब नेतृत्व ही कमजोर होगा तो कार्यकर्त्ता कैसे मजबूत हो सकते हैं ?
रजनी पाटिल ने जो भी आरोप लगाया, वो आरोप केवल स्थानीय नेताओं पर ही नहीं था, बल्कि उनके आरोपों में राहुल गाँधी और गुलाम नबी आजाद जैसे लोगों की कमियाँ भी शामिल थीं. गुलाम नबी आजाद तो उसी क्षेत्र के हैं लेकिन देखा जाए तो वो केंद्र की राजनीती में भी अब उतनी रूचि लेते हुए नहीं दिखते क्योंकि पार्टी नेतृत्व में उनकी जगह को रणदीप सुरजेवाला ने ले लिया है. अब ऐसे में गुलाम साहब क्यों और कैसे जम्मू-कश्मीर के कार्यकर्ताओं को ताकत देने का काम करें ? ताकत देने का काम करें भी क्यों, जब वो खुद ही कांग्रेस पार्टी में कमजोर कर दिए गए हैं ?
रजनी पाटिल के आरोपों और सवालों में कांग्रेस की नियत और नियति का खुलासा है. वैसे भी जम्मू-कश्मीर ही नहीं बल्कि पुरे देश में कांग्रेस की गति, अब दुर्गति के रूप में ही देखी जा रही है क्योंकि अब ये राष्ट्रिय दल, क्षेत्रीय दलों के रहमो-करम पर अपने अस्तित्व को बचाने का प्रयास कर रही है. सच तो ये है की कांग्रेस इतनी कमजोर हो चुकी है कि अंदरूनी कलह के कारण, ये पार्टी अपने अध्यक्ष का चुनाव भी नहीं कर पा रही है.