
दिल्ली से अयोध्या नगरी में आकर रामलला के दरबार में हाजरी लगाने वाले, दिल्ली के CM केजरीवाल ने, खुद को हिन्दू साबित करने के लिए, इस दर्शन को सोशल मिडिया पर खूब भुनाया. लेकिन सच ये है कि केजरीवाल की यूपी यात्रा, अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए नहीं बल्कि सुल्तानपुर के MP-MLA कोर्ट में दर्ज एक मुक़दमे की वापसी के लिए था.
दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल को एमपी-एमएलए कोर्ट से एक मामले में तगड़ा झटका लगा है. जज पीके. जयंत ने गौरीगंज थाने से जुड़े मुकदमे में उनकी तरफ से दण्ड प्रक्रिया संहिता 321 के अंतर्गत प्रस्तुत केस वापसी की अर्जी खारिज कर दी है. फिलहाल, सीएम को दोनों मामलों में मामूली धाराएं होने के चलते कोर्ट से जमानत मिल गई है.
कोर्ट ने केस वापसी की अर्जी खारिज करने के बाद गौरीगंज थाने से जुड़े मुकदमे में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चार्ज बनाया. अब साक्ष्य के बिंदु पर तीन नवंबर को सुनवाई होगी. वहीं मुसाफिरखाना थाने से जुड़े केस में केस वापसी/उन्मोचन अर्जी पर तीन नवम्बर को सुनवाई होगी. जज पीके. जयंत की अदालत ने अरविंद केजरीवाल से जुड़े दोनों मामले में अगली तारीख तय की है.आपको बता दें कि सत्र 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी जिले के मुसाफिरखाना और गौरीगंज थाने में अरविंद केजरीवाल तत्कालीन आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुमार विश्वास समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के दौरान केजरीवाल, कुमार विश्वास समेत अन्य लोगों पर बिना अनुमति रोड शो करने, बैनर पोस्टर ले जाने और सरकारी कार्य बाधित किए जाने की धाराओं में अभियोग दर्ज किया गया था. इस मामले में कुमार विश्वास न्यायालय में उपस्थित हो चुके हैं. जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके थे. मुख्यमंत्री होने के नाते न्यायालय ने इन्हें राहत देने संबंधी निर्देश सुलतानपुर एमपी-एमएलए कोर्ट को भी दिए थे. 25 अक्टूबर यानी सोमवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश पीके जयंत की कोर्ट में वे तलब किये गए थे.