
दुनिया में एक-दूसरे देशों के बिच जो सम्बन्ध दिख रहे हैं, वो औपचारिक ही दिख रहे हैं। कई देशों के बिच कुटनीतिक आक्रोश कई बार देखने को मिल रहा है. यूरोपीय देशों के जो कुटनीतिक सम्बन्ध हैं, वो कई बार शीत-युद्ध की शक्ल अख्तियार करता हुआ भी दिखा है। ऐसे में एक सवाल तो उठता ही है कि-“क्या यूरोप बारूद के ढेर पर खड़ा है ? क्या तीसरे विश्व-युद्ध का आगाज यूरोप से होना है ?”
जैसा कि हालात बयाँ कर रहे हैं, यूरोप इस समय बारूद की ढेर पर बैठा नजर आ रहा है। बस एक छोटी सी चिंगारी कभी भी यूरोपीय देशों के बीच युद्ध का आगाज कर सकती है। इसमें एक तरफ रूस और बेलारूस हैं, जबकि दूसरी तरफ अमेरिका, यूक्रेन, पोलैंड, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश हैं। इन सबके बीच ब्रिटिश और अमेरिकी वायु सेना के लड़ारू विमानों और स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स ने नॉर्थ सी के ऊपर एक साथ उड़ान भरकर पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाई है।
इस संयुक्त सैन्य अभ्यास को ऑपरेशन प्वाइंट ब्लैंक नाम दिया गया। इस हवाई गश्त में ब्रिटेन की रायल एयरफोर्स के टायफून लड़ाकू विमान, लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग II शामिल हुए। वहीं, अमेरिकी वायु सेना की तरफ से इसमें रॉकवेल बी-1 लांसर और बोइंग बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स ने हिस्सा लिया। अमेरिकी वायु सेना ने कहा कि मिशन का उद्देश्य किसी भी विरोधी को आक्रामक कार्रवाई से रोकने और अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता को बढ़ाना था।
इस अभ्यास के दौरान ही रूसी वायु सेना के दो टीयू-160 ‘व्हाइट स्वान‘ परमाणु बॉम्बर्स ने उत्तरी सागर के ऊपर ब्रिटिश वायु सीमा में घुसने की कोशिश की थी। उनकी इस हरकत को देखते हुए ब्रिटेन के अपने लड़ाकू विमानों को भेजना पड़ा था। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उनके लड़ाकू विमानों ने सुरक्षित रूप से रूसी बमवर्षकों को अपनी सीमा में दूर खदेड़ दिया था।
आज शनिवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि वह अमेरिका और अन्य नाटो युद्धपोतों के हाल ही में काला सागर अभ्यास को एक गंभीर चुनौती मानते हैं। उन्होंने एक रूसी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि नाटो में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी काला सागर में बिना पूर्व सूचना के अभ्यास कर रहे हैं। इन अभ्यासों में न केवल एक शक्तिशाली नौसेना समूह शामिल है, बल्कि रणनीतिक बॉम्बर्स सहित वायु सेना और नौसेना के लड़ाकू विमान भी शामिल है। यह हमारे लिए एक गंभीर चुनौती है।
यूरोप में इस समय कई मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है। इसमें सबसे कॉमन बात हर तनाव में रूस का शामिल होना भी है। इस समय रूस के करीबी देश बेलारूस और अमेरिका का नजदीकी पोलैंड के बीच प्रवासी संकट चरम पर है। इन सबके बीच रूस ने बेलारूस में अपने दो परमाणु बमवर्षक विमान और पैराट्रूपर्स की फौज को ताकत दिखाने भेज दिया है। उधर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी नाटो को चेतावनी दी है। हालांकि, पुतिन ने खुद साफ किया है कि बेलारूस-पोलैंड प्रवासी संकट में रूस की कोई भूमिका नहीं है।
रूस ने इस साल दूसरी बार यूक्रेन की सीमा के नजदीक फौज को बड़ी संख्या में तैनात किया है। इसमें टैंक, मिसाइल, पैदल सैनिक, ड्रोन और ऑर्मर्ड गाड़ियां शामिल हैं। बताया जा रहा है कि क्रीमिया में रूस समर्थित अलगाववादियों के हमले में यूक्रेनी सैनिकों की मौत के बाद से ही तनाव बढ़ता जा रहा है। इसके जवाब में यूक्रेन ने इन अलगाववादियों पर ड्रोन हमला किया था।