
चुनावी सरगर्मी में मतदान के बाद लोगों की नजर एग्जिट पोल को बेसब्री से ढूंढने लगती हैं। मिडिया में वैसे भी एग्जिट पोल की तांता लग जाता है. हालांकि कई बार ऐसी भी स्थिति बनी है कि सारे एग्जिट पोल के अनुमान ध्वस्त होते हुए दिखे हैं। लेकिन फिर भी लोगों की नजर अगर मतदान के बाद और चुनाव परिणाम से एग्जिट पोल पर बेसब्री से ढूंढती हैं तो इसका मतलब साफ़ है कि एग्जिट पोल के आंकड़े भले ही ध्वस्त हो जाएँ लेकिन लोगों के बिच इसकी लोकप्रियता आज भी कायम है।
कैसे तैयार किया जाता है एग्जिट पोल ?
एग्जिट पोल जारी करने वाली एजेंसियां या मीडिया हाउस वोट डालकर मतदान केंद्र से बाहर निकलने वाले वोटर्स से बातचीत करती हैं। उनसे पूछती हैं कि उन्होंने अपना वोट किसे दिया? इसके बाद एजेंसी और उनके मीडिया संस्थान एग्जिट पोल के डाटा को प्रसारित करते हैं। मतदाताओं की राय पर आधारित इस सर्वे से चुनाव के नतीजों का आकलन किया जाता है।
कब जारी किया जाता है एग्जिट पोल ?
इस बार के चुनाव में सर्वे एजेंसियां और मीडिया हाउस एग्जिट पोल जारी करने के लिए 7 मार्च का इंतजार कर रही हैं। इसके पीछे चुनाव आयोग का एक गाइडलाइन है जिसके तहत एक निश्चित समय सीमा के खत्म होने के बाद ही एजेंसियां एग्जिट पोल जारी कर सकती हैं। साल 2010 में जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में सेक्शन 126-A जोड़कर चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल को चुनाव के दौरान जारी करने पर रोक लगा दी थी। कानून में बदलाव करके यह तय किया गया था कि चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की तरफ से तय की गई एक समय सीमा के खत्म होने के बाद ही एग्जिट पोल जारी किए जा सकते हैं। यह व्यवस्था इसलिए की गई थी ताकि वोटिंग के समय वोटरों की राय को प्रभावित न किया जा सके।