Home>>Breaking News>>जो लालू परिवार ने बिहार में किया, वही काम सोरेन परिवार ने झारखंड में किया
Breaking Newsझारखण्डताज़ाराजनीतिराष्ट्रिय

जो लालू परिवार ने बिहार में किया, वही काम सोरेन परिवार ने झारखंड में किया

15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग झारखंड देश का नया राज्य बना था। करीब 88 साल बाद बिहार का बंटवारा हुआ था। वैसे भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नजरिए से देखा जाए तो झारखंड की हमेशा से ही बिहार से अलग पहचान रहा। बंटवारे के वक्त बिहार में लालू यादव का राज था और झारखंड को अलग करने के लिए शिबू सोरेन परिवार लड़ाई लड़ रहा था। पिछले 30 साल की बात करें तो बिहार में लालू परिवार तो झारखंड में सोरेन परिवार सियासत के सेंटर में रहा। दोनों को खूब मौके भी मिले। अगर दोनों परिवार चाहता तो अपने-अपने राज्यों की तकदीर बदल सकते थे। लेकिन घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार में दोनों परिवार उलझ कर रह गए। लालू यादव तो अपनी करनी की सजा भी भुगत रहे हैं। अब झारखंड में सत्ताधारी सोरेन परिवार (हेमंत सोरेन) करप्शन को लेकर सुर्खियों में है। हालांकि सीधे तौर पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। मगर उंगलियां तो उठ ही रही है।

खननपट्टा विवाद में कैसे फंसे हेमंत सोरेन ?

दरअसल, हेमंत सोरेन पर ताजा विवाद खनन-पट्टे को लेकर है। विपक्ष (भारतीय जनता पार्टी) ने सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखा है। हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग की है। आरोप लगाया गया है कि उन्होंने (सीएम हेमंत) रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 का उल्लंघन किया है। राजभवन के जरिए पूरा मामला भारत चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है। फरवरी में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ दस्तावेज सामने रखे थे, जिनमें सोरेन पर ‘पद का दुरुपयोग’ कर रांची जिले में अपने पक्ष में पत्थर की खदान के पट्टे के लिए मंजूरी हासिल करने के आरोप लगाए थे। 25 अप्रैल को रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सोरेन के पद पर रहते हुए उनकी पत्नी को 11 एकड़ औद्योगिक भूमि मिली है। इस मसले पर चुनाव आयोग ने पर्यावरण और खनन विभाग संभालने वाले हेमंत सोरेन से उनका पक्ष पूछा था। मंत्रालय की ओर से जवाब भी दिया गया।

हेमंत सोरेन पर लगा आरोप क्या है ?

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची जिले के अंगारा ग्राम पंचायत में 0.88 एकड़ में खनन पट्टे की मंजूरी के लिए आवेदन दिया था। केंद्र के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पोर्टल पर दस्तावेज दर्ज है। इसमें बताया गया है कि खदान में उत्पादन 6 हजार 171 टन प्रति वर्ष होगा। ये काम पांच साल तक चलेगा। अनुमानित लागत 26 लाख रुपए बताई गई थी। दस्तावेजों के मुताबिक सीएम हेमंत का आवेदन 28 मई 2021 को रांची के जिला खनन अधिकारी के पास पट्टे की मांग के लिए पहुंचा था। एक जून को जिला खनन अधिकारी ने अंगारा के सर्किल ऑफिसर को जांच के लिए कहा। सहमति के लिए 7 जून को अंगारा में ग्राम पंचायत बुलाई गई। उसी दिन अंगारा के ब्लॉक विकास अधिकारी ने खनन अधिकारी को लिखित में जानकारी दी कि ग्रामसभा ने खनन के पट्टे के लिए मंजूरी दे दी है। 14 मार्च को हेमंत सोरेन और गांव के 9 लोगों के बीच समझौते पर दस्तखत हुए। फिर एक लैटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया। जिसमें कुछ शर्तों के साथ खनन के पट्टे के लिए ‘इन प्रिंसिपल अप्रूवल’ दिया गया है। यहीं पर पूरा पेंच फंस गया है। हालांकि विवाद बढ़ने पर 11 फरवरी 2022 को हेमंत सोरेन ने लीज सरेंडर कर खुद को अलग कर लिया। तब तक ‘गलती’ हो चुकी थी। कोर्ट पूरे मामले को ‘गंभीर’ मान चुका था। बचाव में हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि सोरेन को दिया गया पट्टा ‘रिन्यूअल’ था और लीज पर ली गई जमीन को चुनाव आयोग के कई हलफनामों में दिखाया गया था।

लालू यादव की तरह फंस जाएंगे हेमंत सोरेन ?

झारखंड में हेमंत सोरेन के पास राज्य के लोगों की किस्मत बदलने के मौके मिले तो भष्टाचार में उलझ गए। जिस मंत्रालय को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं, उसके सबसे बड़े अफसर (खनन और उद्योग सचिव आईएएस पूजा सिंघल) के 25 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ताबड़तोड़ छापेमारी की। पूजा सिंघल के CA सुमन सिंह के रांची के आवास से 19.31 करोड़ कैश मिले। कार्रवाई के दौरान करीब 150 करोड़ की संपत्ति के दस्तावेज भी मिले हैं। भले ही पूरा मामला सीधे तौर पर सीएम हेमंत तक नहीं पहुंच रहा, मगर सवाल तो उठ ही रहे हैं। ये पूरा मामला ठीक उसी तरह का है जैसे लालू यादव जब मुख्यमंत्री थे तो बिहार में करीब 900 करोड़ का चारा घोटाला हुआ था। फिर उसमें उलझते चले गए। रेल मंत्री बने तो रेलवे के दो होटलों को लीज पर दे दिए। घुमा-फिराकर फिर उसमें भी फंस गए। दोनों मामलों में भले ही लालू यादव की सीधी भागीदारी नहीं रही मगर आरोपी तो बन ही गए। चारा घोटाले में तो सजायाफ्ता भी हैं।

खननपट्टा एलॉटमेंट विवाद पर हेमंत ने क्या कहा ?

झारखंड की राजधानी रांची से बरामद नोटों की गड्डियों को देश ने देखा। नोट गिनते-गिनते मशीनें गरम हो गई। हिसाब लगाते-लगाते ईडी के अफसरों की उंगलियां थक गईं। मगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बेफिक्र नजर आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने ईडी की इस कार्रवाई को गीदड़ भभकी बताया। हेमंत सोरेन ने कहा कि हम अपवाद नहीं हैं। बीजेपी राजनीति की जो परिभाषा गढ़ना चाह रही है, वो किसी सूरत में मंजूर नहीं है। उन्होंने सवाल उठाए कि जेपीएससी की सीबीआई जांच का आखिर क्या हुआ ? खुद की बचाव में वो बच्चों की क्रिकेट कहानी सुना डाले। उदाहरण देते हुए हेमंत ने मीडिया को बताया कि जिस तरह क्रिकेट मैच में आउट होने पर बच्‍चा विकेट-बॉल लेकर भाग जाता है। उसी तरह से राजनीतिक मैदान में हारने पर बीजेपी अपनी मशीनरी का ‘सदुपयोग’ करने लगती है। बीजेपी को लगता है कि वो ये सब करके हमसे पार पा लेगी। तो ऐसा नहीं है और न ही आगे होगा। मतलब उन्होंने पूरे मामले को सियासी रंग देने की कोशिश की। लेकिन रांची में बरामद नोटों की गड्डियां और खनन-पट्टे के दस्तावेज पर साफ-साफ बोलने से बचते रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *